असंक्रामक रोग
कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह तथा अन्य असंक्रामक रोगों की
छानबीन तथा जाँच- अब हर घर, प्रत्येक द्वार
भारत में कैंसर, हृदय रोग तथा अन्य असंक्रामक रोगों को प्रारंभिक अवस्था में ही पहचानने का एक महत्वाकांक्षी अभियान लागू होने जा रहा है। 100 जिलों के साथ आरंभ होने वाले इस अभियान को शीघ्र ही अधिकाधिक जिलों तक बढ़ाया जाएगा।
असंक्रामक रोग लगभग 35 % मौतों का कारण हैं तथा असमय मृत्यु दर (30 से 69 वर्ष की आयु में) का 55 % है। यह परीक्षण अभियान इन असंक्रामक रोगों के परीक्षण हेतु ऐसे मापदंढ स्थापित करेगा जो पहले कभी भी नहीं अपनाए गये हैं।
केंद्र द्वारा इस परीक्षण अभियान हेतु राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं, तथा कुछ राज्य अपने विस्तृत कार्यक्रम प्रेषित करना आरंभ कर चुके है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस वर्षांत तक 100 जिलों में इस परीक्षण कार्यक्रम को लागू करने का लक्ष्य है। इसमें रू 232 करोड़ का व्यय अनुमानित है।
"असंक्रामक रोग परीक्षण अभियान तथा जनसामान्य का बचाव" कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के नेतृत्व में ही एक प्रभाग होगा। इस कार्यक्रम के व्यय का 60% केन्द्र द्वारा तथा शेष राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा। उत्तर-पूर्व तथा पहाड़ी राज्यों में स्वास्थ्य मंत्रालय 90% तक व्यय का वहन करेगा।
यह कार्यक्रम मुख्यतः आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) द्वारा तथा एएनएम्स (सहायक उपचारिका या दाई) द्वारा राज्य प्राधिकारी की देखरेख व समन्वयन द्वारा संचालित होगा। आशा तथा एएनएम्स को लघु परीक्षण यंत्र तथा साधन दिए जाऐंगे जिन्हें प्रत्येक घर तक ले जाकर अथवा शिविर के माध्यम से सेम्पल या नमूने एकत्र करना होगा। शासन द्वारा जिला अस्पताल तथा एनसीडी क्लीनिक्स पर समरूप परीक्षण सुविधाऐं उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।
इस कार्यक्रम हेतु शासन द्वारा आशा तथा एएनएम्स कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण आरम्भ किया जा चुका है। भारतीय नागरिकों में असंक्रामक रोगों के बढ़ते खतरे को पहचानकर यह कदम उठाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 25 % भारत वासियों में असंक्रामक रोग असमय मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। कार्डियोवेस्क्यूलर या हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी, दीर्घकालीन श्वसन रोग, कैंसर तथा मधुमेह सर्वाधिक प्रचलित असंक्रामक रोग हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार इनमें मधुमेह पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि यह तीव्रता से बढ़ रहा है तथा बहुधा हृदयाघात जैसे अन्य रोगों को आमंत्रित करता है तथा अन्य रोगों के उपचार में उलझन उत्पन्न करता है। जबकी 2013 में 6.5 करोड़ से अधिक लोग मधुमेह रोगी थे तथा यह संख्या अगले 15 वर्षों में 11.25 करोड़ प्रक्षेपित है।
असंक्रामक रोगों के उपचार का भार शासन तथा व्यक्ति पर बढ़ते हुए औषधि तथा अस्पताल पर व्यय के रूप में सामने आता है। जन स्वास्थ्य के हार्वर्ड शोध संस्थान की रपट के अनुसार भारत को 2012 से 2030 के बीच 4.50 लाख करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार वहन करना होगा। इसमें से कार्डियोवेस्क्यूलर या हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी रोगों पर 2.17
असंक्रामक रोगों के भार की रोकथाम का प्राथमिक उपाय समयपूर्व एवं त्वरित परीक्षण की पुष्ट व्यवस्था व संसाधन सर्वानुदित हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा असंक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए प्राथमिक एवं अतिरिक्त स्तर पर कई कदम उठाए गए हैं। हृदय रोग केंद्र, असंक्रामक रोग स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना तथा कैंसर तथा हृदयरोग की औषधियाँ उचित मूल्य व लागत से भी कम मूल्य पर उपलब्ध कराई गई हैं।
http://health.economictimes.indiatimes.com/news/diagnostics/soon-door-to-door-screening-of-diseases/53472606
विस्व स्वास्थ्य संगठन-
https://www.facebook.com/WHO/videos/1578139285564782/
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