कैंसर-कर्करोग के लक्षण
संभावित कैंसर (कर्क रोग) की चेतावनी देने वाले पाँच लक्षण-इन्हें अनदेखा न करें।
समय से पहले कैंसर को पहचानने के लिए कैंसर के नियमित
परीक्षण ही सर्वोत्तम साधन है। अधिकतर लोग या तो लक्षणों की उपेक्षा करते हैं अथवा
उन्हें अपनी स्थिति की गंभीरता का कोई अनुमान ही नहीं होता जब तक कि बहुत देर न हो
जाए। तथापि, सामान्य जीवन में,
कैंसर के लक्षण अस्पष्ट होते हैं कि कोई भी मुश्किल से ही इन लक्षणों की विशेषताओं
को कैंसर के लक्षणों की तरह पहचान पाता हो।
कई बार मनुष्यों में कैंसर
अचिंन्हित रह जाता है क्योंकि इसके लक्षणों को सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के
लक्षणों की तरह मानकर इनकी चिकित्सा की जाती है। कैंसर के लक्षणों को समय रहते
पहचानना कैंसर को समय पर पहचानना है जो कैंसर की पूर्ण तथा सफल चिकित्सा करने में सहायक
होता है। कैंसर के लक्षणों में लघुशंका निवारण में बदलाव, निगलने में असुविधा, सामान्य
वाणी में बदलाव आने से फटा स्वर निकलना, वजन में बगैर स्पषट कारण के कमी आना, नुख
में बदलाव तथा उदर अथवा पेट के निचले भाग में पीड़ा होना। नियमित परीक्षण
सर्वोत्तम साधन है कैंसर को समय पूर्व पहचानने का।
साधारण पीड़ा, कष्ट वेदना
अथवा दुर्बलता या थकान जैसे लक्षण जो संभवतः कैंसर जनित हो सकते हैं। निम्न कुछ
लक्षण हैं जो कैंसर के हो सकते हैं तथा जिनकि अवहेलना या उपेक्षा करने से बचना चाहिए।
1. शारीरिक भार में अस्पष्टीकृत कमी
अचानक और हठात रूप से
शारीरिक-भार का ह्वास उन लोगों के लिए ठीक है जो स्वास्थ्य कारणों से वजन कम करना
चाह रहे हों। किंतु बिना किसी उद्यम अथवा परिश्रम के एकाएक शारीरिक भार का ह्वास
चिंता का कारण है। इस प्रकार अचानक कम हुआ भार
अग्नाशय कर्क रोग, उदर कैंसर तथा फेफड़ों के कैंसर का द्यौतक हो सकता है।
इनके अतिरिक्त शारीरिक भार का अनचाहे व अचानक कम होना अतिक्रियाशील थायराइड
ग्रंथि, मधुमेह या शर्करा रोग, सिरोसिस-अधितंतुरूजा तथा टीबी-यक्ष्मा रोगों के
कारणवश हो सकता है।
2. लघुशंका त्याग क्रिया में बदलाव
लघुशंका त्याग की प्रक्रिया
में बदलाव का अनुभव, जो कैंसर का द्यौतक हो सकता है।
लक्षण:
मूत्रत्याग प्रक्रिया शुरू
करने में मुश्किल होना।
मूत्रत्याग की क्रिया रोकने
में तकलीफ होना।
मूत्रत्याग की धारा का वेग
सामान्य से दुर्बल होना।
बूंद-बूंद या रिसकर मूत्र
निकलना।
लघुशंका की आवश्यकता के
अंतराल में बदलाव।
अंडकोषों के आकार में बदलाव,
सूजन अथवा सिकुड़न महसूस होना अथवा गठान महसूस होना।
अंडकोशों में भारीपन महसूस
होना।
3. मौखिक परिवर्तन:
मुँह तथा आहार नलिका पर कुछ
परिवर्तन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं
मुँह के अंदर सफेद दाग या चकत्ते
मुँह तथा आहार नली के आस पास लगातार दर्द रहना।
आहार निगलने में परेशानी।
निचले जबड़े को हिलाने में परेशानी होना।
टूटा दाँत या डाढ़ जो बगैर किसी उचित वजह के टूट गया हो।z
चेहरे पर सूजन।
लिजलिजापन अथवा संवेदनाहीन निचले होंठ, कपोल या जिव्ह्या।
जिव्ह्या पर रूखापन तथा उसके साथ रक्तस्राव।
लगातार और चेष्ठापूर्वक भी विद्यमान कफ तथा आवाज में कठोरता।
खाँसी के साथ रक्त आना।
4. वक्षस्थल में परिवर्तन
पुरुषों में वक्ष कैंसर दुर्लभ है और वैश्विक वक्षकैंसर के मामलों का लगभग
एक प्रतिशत है। इसके नजरअंदाज होने की प्रमुख वजह शायद यही है और अधिकतर पुरुष
इसके लक्षणों को अनदेखा कर देते हैं। पुरुषों में वक्षकैंसर एस्ट्रोजन नामक
हार्मोन के स्राव में वृद्धि के फलस्वरूप, हानिप्रद विकिरण की हद में आने से तथा
परिवारिक पृष्ठभूमि में वक्षकैंसर होने से हो सकता है। वाहिनीपरक घुसपैठिया
कर्कटरोग-डक्टल कार्सिनोमा पुरुषों में अधिकतर होने वाला वक्षकैंसर है। पुरुषों
में वक्षस्थल के कर्कटरोग के विभिन्न लक्षणों में कुछ निम्न लक्षण हैं।
वक्षस्थल का आकार बढ़ना।
वक्ष के अग्रभाग, निप्पल में दर्द।
निप्पल का उलटना अथवा अंदर की ओर दबना।
निप्पल पर वृण अथवा घाव, आसपास लाल घेरा बनना।
वक्ष में गठान जिसमें दर्द महसूस हो सकता है और नहीं भी।
निप्पल से स्राव जो पारदर्शी अथवा लाल या काला हो सकता है।
बगलों की लसीकापर्व या ग्रंथि में सूजन होना।
निप्पल पर या के ईर्द-गिर्द पपड़ीयुक्त लालिमा होना।
5. उदर या पेट लंबंधी लक्षण:
उदरपीड़ा अथवा उदरशशूल कैंसर के अलावा कई रोगों के
लक्षण हो सकते हैं। किन्तु कोई भी इन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकता जब लगातार और ढीट
रोग की तरह उदरपीड़ा प्रयत्न करने पर भी कम या दूर न होती हो। उदरलक्षण या पीड़ा
जो कैंसर का लक्षण हो सकती है निम्न हो सकती है:
क्षीण क्षुधा अथवा भूख महसूस न होना।
अम्लपित्त जो पुराना अथवा लगातार काफी समय से
विद्यमान हो।
हृदय में शूल अथवा हृदयाग्नि जो उदर तथा कण्ठ कैंसर
हो सकता है।
वमन अथवा रक्तयुक्त वमन।
पेट फूलना, उदर में पानी भरना जिसे जलोदर भी कहते
हैं।
उदरपीड़ा जो पेट के अंदर दबने जैसी होती है,
पेनक्रियाटिक-अग्न्याशय कैंसर लक्षण हो सकती है।
उदर की जकड़न तथा बिगड़ा पेट जो लिवर-यकृत कैंसर का
लक्षण हो सकता है।
अत्यन्त अल्प भोजन के पश्चात ही पेट भरा हुआ महसूस
होना।
मूत्र में अथवा मल में रक्त विद्यमान होना जो कि
किडनी-वृक्क कैंसर, मूत्राशय-ब्लाडर कैंसर अथवा बृहदांत्र-कोलन कैंसर का लक्षण हो
सकता है।
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