एडीनोमायोसिस- 30 से 50 वर्ष की अवस्था के बीच यह समस्या होती है। ऐंडोमेट्रियम, गर्भाशय के अन्दर की सतह में टूटन से सतह में सूजन हो जाती है, इसी को एडीनोमायोसिस कहते हैं।
विकृत जीवनशैली तथा आनुवांशिक कारणों से होने वाले इस रोग के लक्षण निम्नानुसार हैं-
माहवारी के दौरान सामान्य से अधिक दर्द, विशेषकर पेट के निचले हिस्से में, जो दर्दनिवारक औषधि लेने के बाद भी ठीक न हो एवं अत्यधिक रक्तस्राव।
गर्भधारण करने में असफलता।
उक्त लक्षणों की प्रबलता पर अपनी डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करें।
निदान
आमतौर पर डॉक्टर द्वारा पेट के निचले भाग की अल्ट्रासोनोग्राफी कराई जाती है।
रोग की स्थिती अस्पष्ट होने पर एमआरआई करवाना भी संभावित है।
पैप स्मीयर
इस परीक्षण से संभावित कैंसर-पूर्व परिवर्तनों की पहचान की जा सकती है। उच्च कोटि के परिवर्तनों का उपचार, कैंसर के विकास को रोक सकता है। विकसित देशों में, गर्भाशय-ग्रीवा परीक्षणों के व्यापक उपयोग के कारण 50% या अधिक मात्रा में आक्रामक गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के मामलों में कमी आई है।
1-इसके उपचार में शामिल हैं, प्रारंभिक चरण में शल्य-चिकित्सा (स्थानीय उच्छेदन सहित)
2-तथा रसायन-चिकित्सा
3-रोग के उन्नत चरणों में विकिरण चिकित्सा.
रोग की स्थिति एवं महिला की उम्र को ध्यान में रख कर उपचार आरंभ किया जाता है। गर्भाधान की आकाँक्षा होने पर तथा 40 से कम वय होने पर गर्भाशय के प्रभावित भाग को एक छोटे से छेदन द्वारा लेप्रोस्कोपिक शल्यक्रिया-सर्जरी कर शरीर से पृथक कर दिया जाता है। छोटे से छेद द्वारा की गई इस वेदनारहित शल्यक्रिया के फलस्वरूप 2-3 दिनों में पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त हो जाता है।
40 से उपर वय होने पर शल्यक्रिया से संपूर्ण गर्भाशय को शरीर से अलग कर दिया जाता है।
गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लगभग सभी मामलों के विकास में
मानव अंकुरार्बुद-विषाणु एचपीवी वायरस द्वारा संक्रमण एक आवश्यक कारक रहा है।
अधिकांश गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के कारक एचपीवी के दो उपभेदों के प्रति प्रभावी एचपीवी टीका, अमेरिका और यूरोपीय संघ में लाइसेंस प्राप्त कर चुका है।इस समय, लगभग 70% सभी गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लिए, एक साथ ये दो HPV उपभेद जिम्मेदार हैं।
चूंकि टीका केवल कुछ उच्च-जोखिम प्रकार से बचाव करता है, महिलाओं द्वारा टीकाकरण के बाद भी नियमित पैप स्मीयर परीक्षण करवाना चाहिए.
इस रोग से बचाव हेतु दुग्ध पदार्थों का सेवन
तथा फलाहार को जीवनशैली में शामिल करें।
शारीरिक श्रम, व्यायाम तथा नित्य योग को अपनाऐं।
शारीरिक स्थूलता से दूर रहें।
आलस्य कतई न करें।
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
सर्वाइकल कैंसर का टीका खोजने का दावा किया गया है।
HPV टीके के विकास के बावजूद, कुछ शोधकर्ताओं का यह तर्क है कि नियमित नवजात पुरुष खतना, भावी महिला यौन साथी में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम को कम करने का स्वीकार्य तरीक़ा है। अन्य लोगों का मानना है कि जोखिमों की तुलना में लाभ अधिक नहीं है और/या बच्चों से स्वस्थ जननांग के ऊतकों को हटाने का विचार अनैतिक है, क्योंकि यह मान लेना उचित नहीं लगता कि पुरुष खतना करवाना पसंद ही करेंगे. इस दावे का कोई निश्चित प्रमाण नहीं है कि पुरुष खतना, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का बचाव करता है, यद्यपि कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि महामारी-विज्ञान के पुख्ता सबूत हैं कि जिन पुरुषों का खतना किया गया है, उनके HPV से संक्रमित होने की संभावना कम है।
बहरहाल, कम-जोखिम यौन व्यवहार वाले पुरुष और एकपतित्व महिला साथियों में, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम के प्रति खतना से कोई फ़र्क नहीं पड़ता.
(विकीपीडिया)
सफल होने पर समग्र मानवता की त्रासता कम होगी।
HPV टीके के विकास के बावजूद, कुछ शोधकर्ताओं का यह तर्क है कि नियमित नवजात पुरुष खतना, भावी महिला यौन साथी में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम को कम करने का स्वीकार्य तरीक़ा है। अन्य लोगों का मानना है कि जोखिमों की तुलना में लाभ अधिक नहीं है और/या बच्चों से स्वस्थ जननांग के ऊतकों को हटाने का विचार अनैतिक है, क्योंकि यह मान लेना उचित नहीं लगता कि पुरुष खतना करवाना पसंद ही करेंगे. इस दावे का कोई निश्चित प्रमाण नहीं है कि पुरुष खतना, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का बचाव करता है, यद्यपि कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि महामारी-विज्ञान के पुख्ता सबूत हैं कि जिन पुरुषों का खतना किया गया है, उनके HPV से संक्रमित होने की संभावना कम है।
बहरहाल, कम-जोखिम यौन व्यवहार वाले पुरुष और एकपतित्व महिला साथियों में, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम के प्रति खतना से कोई फ़र्क नहीं पड़ता.
(विकीपीडिया)
सफल होने पर समग्र मानवता की त्रासता कम होगी।
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