ऑटिज़्म
स्वलीनता (ऑटिज़्म) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है।
हिन्दी में इसे 'आत्मविमोह' और 'स्वपरायणता' भी कहते हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना। यह सब बच्चे के तीन साल होने से पहले ही आरम्भ हो जाता है।
इन लक्षणों का समुच्चय (सेट) आत्मविमोह को हल्के (कम प्रभावी) आत्मविमोह स्पेक्ट्रम विकार (ASD) से अलग करता है, जैसे एस्पर्जर सिंड्रोम।
ऑटिज़्म एक मानसिक रोग है जिसके लक्षण जन्म से ही या बाल्यावस्था से नज़र आने लगतें हैं। जिन बच्चो मे यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चो की अपेक्षा असामान्य होता है।
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ऑटिज्म रोग का हो सकेगा निदान
समस्त विश्व में लगभग 1.5 प्रतिशत बच्चे ऑटिज्म-स्वलीनता के रोग से पीड़ित हैं, तथा यह रोग अभी तक असाध्य माना गया है। अज्ञात कारणों से होने वाला यह रोग विशेषज्ञों द्वारा सुसाध्य नहीं हो पाया है। बिना किसी ठोस आधारभूत शोध के यह बीमारी अभी तक अबूझ बनी हुई है। ऐसे में शोधकर्ताओं के ऩवीन शोध में उन्होंने इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के रक्त की जाँच की और उन्हें एक विशेष तत्व फॉले डिपेंडेंट-आश्रित कार्बन (एफओसी) के संकेंद्रण का पता लगा है जो ऑटिज़्म-स्वलीनता रोग के लिए जिम्मेदार है। एफओसी के सकेंन्द्रण को नियंत्रित कर ऑटिज़्म को रोका जा सकता है। इस खोज के द्वारा इस असाध्य माने जाने वाले रोग की दवाई खोजने में मदद मिलेगी। इस शोध के नतीजे 97 प्रतिशत सही पाए गए हैं।पत्रिका-इंदौर-21-3-17
यह भी देखें:
https://www.theguardian.com/lifeandstyle/picture/2017/may/25/understanding-autism-part-one-jack-and-rosie?utm_source=esp&utm_medium=Email&utm_campaign=GU+Today+main+NEW+H+categories&utm_term=227755&subid=17750768&CMP=EMCNEWEML6619I2
ऑटिज्म की विशेषज्ञ डॉ.-इन्दौर में ः
डॉ ईशा सिंग275, सांई कृपा। 0731 2559044 dr.isha@gmail.com
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