Diabetes, Type1, Type2
भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। वर्तमान में करीब सात करोड़ से ज्यादा लोग मधुमेह से प्रभावित हैं। वर्ष 2030 तक यह संख्या 10 करोड़ से ज्यादा पहुँचने का अनुमान है। 2011 के बाद से मधुमेह के रोगियों की संख्या में तीव्र वृद्धि हुई है। डॉक्टरों का सरकार से कहना है कि भारत में शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया जाना चाहिए। पत्रिका, 21-1-16 इन्दौर।
अब जबकि विश्व में यह लगभग माना जाने लगा है कि भारत में मधुमेह एक महामारी का रूप ले रही है और कुछ लोग भारत को मधुमेह की राजधानी कहने लगे है, तो हमें इस विषय पर जागरूकता से सोचने की जरूरत है। संयोग से सन् 2006 का 14 नवम्बर विश्व मधुमेह दिवस का विश्व स्वास्थ संघ का नारा ‘‘ मधुमेह की देखभाल सबके लिये’’ भी यही दर्शाता है। अतः मधुमेही उसका परिवार एवं प्रत्येक व्यक्ति इस चुनौती को स्वीकारें और इस दिशा में काम करें तभी हमारा भला होगा। और हम मधुमेह को नियन्त्रित कर पायेगें। डॉ. एस.एस. येसीकर, भोपाल।
निरन्तर मधुमेह रोगियों की संख्या में हो रही वृद्धि को देखते हुए 1991 में इण्टरनेशनल डायबिटीज फेडेरेशन एवं “विश्व स्वास्थ्य संगठन” ने संयुक्त रूप से इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु प्रति वर्ष “विश्व मधुमेह दिवस” आयोजित करने का विचार किया। इस हेतु उन्होने 14 नवम्बर का दिन चयनित किया। आप पूछ सकते हैं कि 14 नवम्बर ही क्यों?
मधुमेह रोग के कारण एवं इसके विभिन्न पहलुओं को समझने हेतु कई लोग प्रयासरत थे। इनमें से एक जोड़ी फ्रेडरिक बैटिंग एवं चार्ल्स बेस्ट की भी थी, जो पैनक्रियाज ग्रन्थि द्वारा स्रावित तत्व के रसायनिक संरचना की खोज में लगे हुए थे। इस तत्व को अलग कर उन्होंने अक्टूबर 1921 में प्रदर्शित किया कि यह शरीर में ग्लूकोज निस्तारण करने में अहम् भूमिका निभाता है और इसकी कमी होने से मधुमेह रोग हो जाता है। इस तत्व को “इंसुलिन” का नाम दिया गया। इसकी खोज मधुमेह के इतिहास में एक मील का पत्थर है। इस कार्य हेतु इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
14 नवम्बर फ्रेडिरिक बैटिंग का जन्म दिवस है। अतः “विश्व मधुमेह दिवस” हेतु इस तिथि का चयन किया गया। प्रारम्भ में “विश्व मधुमेह दिवस” हेतु “यिन और याँग” को प्रतीक चिन्ह के लिये चुना गया था। चीनी संस्कृति में “यिन और याँग” को द्वैतवात के अनुसार प्रकृति में संतुलन का प्रतीक माना जाता है। यह पहचान चिन्ह इस बात की ओर इंगित करता है कि इस बीमारी पर समुचित लगाम कसने हेतु रोगी, चिकित्सक, सामाजिक जागरूकता आदि विभिन्न तत्वों के बीच संतुलन होना आवश्यक है।
“इण्टरनेशनल डायबिटीज फेडेरेशन” के सतत् प्रयास के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ ने अन्ततः मधुमेह की चुनौती को स्वीकारा और दिसम्बर 2006 में इसे अपने स्वास्थ कार्यक्रमों की सूची में शामिल किया। सन् 2007 से अब यह संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के सूची में शामिल होने का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि अब संयुक्त राष्ट संघ के सदस्य देश अपनी स्वास्थ संबंधी नीति-निर्धारण में इसे महत्व दे रहें हैं।
सन् 2007 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिवस को अंगीकार करने के बाद इस का प्रतीक चिन्ह “नीला छल्ला” चुना गया है। छल्ला या वृत्त, निरंतरता का प्रतीक है। वृत्त इस बात का प्रतीक है विश्व के सभी जन इस पर काबू पाने के लिये एकजुट हो। नीला रंग आकाश, सहयोग और व्यापकता का प्रतीक है। इस प्रतीक चिन्ह के साथ जो सूत्र वाक्य दिया गया है वह है। Unite for Diabetes मधुमेह के लिए एकजुटता।
प्रत्येक वर्ष, “विश्व-मधुमेह दिवस” किसी एक केन्द्रीय विचार पर बल देता है। वर्ष 2008 का विचार “Diabetes and Children” “मधुमेह एवं बच्चे” था। बच्चों में मधुमेह टाइप - 1 एवं टाइप - 2 दोनो प्रकार के हो सकते है।
बच्चों में मुख्यतः टाइप - 1 मधुमेह होता है, जिसके चिकित्सा के लिए जीवन पर्यन्त इंसुलिन लेना होता है। कई बार इससे पीड़ित बच्चों के लक्षणों को न पहचान पाने के कारण उनकी मौत, डायाबिटीक कोमा में हो जाती है। बिमारी के निदान होने के बाद भी आर्थिक और अन्य कारणों से इन बच्चों को समुचित चिकित्सा नहीं मिल पाती। बदलती जीवन शैली और ठोस, उच्च उर्जा युक्त भोजन की प्रचुरता के कारण बच्चों में मोटापे की प्रवृत्ति इधर बहुत तेजी से बढ़ रही है। अमेरिकी आंकड़े बताते हैं कि 7-15 वर्ष की आयु वर्ग के बीच मोटापे की दर में 1985 से 1997 के बीच दो से चार गुनी वृद्धि हुई है। भारत में तमिलनाडु में डा. रामचन्द्रन द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण में 13-18 वर्ष के बच्चो में 18% में मोटापा पाया गया। बच्चों में बढ़ते मोटापे की प्रवृति एवं शारीरिक श्रम में कमी के कारण अब टाइप-2 मधुमेही बच्चे भी बड़ी संख्या में देखने को मिल रहें हैं। इन्ही बातों को संज्ञान में लेते हुए वर्ष 2008 विश्व मधुमेह दिवस का केन्द्रीय विचार “Diabetes and Children” “बच्चे और मधुमेह” दिया गया । वर्ष 2008-09 में डायबिटीज सेल्फ केयर क्लब ने बच्चों को केन्द्रित कर वर्ष भर के लिये एक अभियान शुरू किया था जिसका नाम “मधुमेह विजय” दिया गया। इस अभियान के तहत प्रति माह विभिन्न स्कूलों में बच्चों एवं अध्यापकों को इस बिमारी के प्रति जागरूक करने, स्वस्थ भोजन, जीवन शैली एवं व्यायाम की महत्ता समझाने के लिये व्याख्यान किये गये और पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों के सृजनात्मक सोच को विकसित किया गया।
डा. आलोक कुमार गुप्ता (एम.डी.)
असुरन-मेडिकल कालेज रोड
गोरखपुर
http://www.diabetesandyou.org/nov14.htm
http://www.diabetesandyou.org/nov14.htm
टाईप वन डायबिटीज
मानव शरीर में स्थित आंतरिक पाचन अँग।
लीवर या यकृत, अग्नाशय या पेनक्रिया,
गल ब्लाडर या पित्ताशय की थैली आदि।
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टाईप वन या प्रथम श्रेणी के डायबिटीज रोग में मानव किसी कारणवश ईन्स्यूलिन बनाने में असमर्थ हो जाता है।
टाईप टू डायबिटीज
टाईप टू या द्वितीय श्रेणी के डायबिटीज या मधुमेह रोग में, मानव शरीर ईंस्यूलिन या मधुसूदनी को भलीभाँति नहीं बनाता और ना ही ठीक से कार्यरत कर पाता है, फलतः ऊर्जा तथा ऊष्मा की आपूर्ति में कमी होने से शरीर का ह्वास होता है। अर्थात द्वितीय श्रेणी के मधुमेह रोग के और निकट ले जाता है।
गर्भवती महिलाओं में भी गर्भावस्था का मधुमेह हो जाता है।
व्यक्ति को अपना रक्त शर्करा स्तर नियमित रूप से जाँचते रहना चाहिये, तथा निश्चित औषधियाँ नियमित रूप से लेनी चाहिये।
मधुमेह (डायबिटिस)
मधुमेह (डायबिटिस) रोग में मानव शरीर की शर्करा या ग्लूकोज़ का स्तर, सामान्य से अधिक हो जाता है। हमारे भोजन का पाचन सार या सत्व ग्लूकोज ही होता है जो शर्करा का एक रूप है। इन्स्यूलिन या मधुसूदनी हमारे शरीर का एक आंतरिक रस या हार्मोन है, जो ग्लूकोज़ को मानव कोशिका में प्रवेश कराता है, जिससे हमें ऊष्मा और ऊर्जा मिलती है।
संकेत तथा लक्षण
अनुपचारित मधुमेह के पारंपरिक लक्षण हैं-
वजन घटना, मूत्राधिकता, प्यास में वृद्धि तथा असामान्य क्षुधावृद्धि।
तीक्ष्ण होने पर संवेदनहीनता भी देखी जाती है।
मधुमेह रोग की जटिलताऐं
सभी वर्गों का मधुमेह दीर्घकालीन जटिलताओं के खतरे में वृद्धि करता है।
दीर्घकालीन जटिलताऐं मुख्यतः रक्त वाहिनियों की क्षति से संबंधित हैं।
मधुमेह की प्राथमिक जटिलताऐं सूक्ष्म रक्तवाहिनियों की क्षति के फलस्वरूप होती हैं, ।
वृक्कक्षति या किडनी डेमेज जिसकी परिणति डायलिसिस अथवा प्रत्यारोपण में होती है।
तंत्रिका अथवा नर्व की क्षती, मधुमेह की सर्वाधिक आम जटिलता है।
अज्ञान व गलत जानकारी के कारण सामाऩ्य जन की अकल्पनीय क्षती हो रही है।
हिन्दी में रोग निर्देशिकाओं का अभाव ही इस वृहद कार्य हेतु प्रेरणा स्रोत है।
सामान्य भाषा में डायबिटीज की हिन्दी में विस्तारपूर्वक जानकारी
खाली पेट रक्त शर्करा परीक्षण
कारण
टाईप वन तथा टाइप टू मधुमेह का तुलनात्मक संक्षेप
वैशिष्ट्य
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टाईप वन मधुमेह
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टाइप टू मधुमेह
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प्रारंभिक आक्रमण
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अचानक
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उत्तरोत्तर
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प्रभावित की उम्र
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अधिकतर बच्चों पर
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अधिकतर वयस्कों पर
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शारीरिक गठन
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दुबले अथवा सामान्य
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स्थूल काया वाले व्यक्तियों पर
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कीटोएसिडोसिस
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सामान्य
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दुर्लभ
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ऑटोएण्टिबॉडीज़ |
सामान्तया विद्यमान
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अनुपस्थित
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एण्डोजीनॅस ईन्स्यूलिन
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न्यून या अनुपस्थित
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सामान्य, अधिक या न्यून
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आईडेंटिकल ट्विंस में कॉन्कर्डेंस (जुड़वाँ व्यक्तियों में आनुवाँशिकता)
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50%
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90%
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व्यापकता
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-10%
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-90%
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मधुमेह व्याधि से संबंधित संदर्भ विकिपीडिया एवं अन्य स्रोत से प्राप्त कर संकलित किए गए हैं
हिन्दी में रोग निर्देशिकाओं का अभाव ही इस वृहद कार्य हेतु प्रेरणा स्रोत है।
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