03/11/19

अल्जाइमर्स

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अल्जाइमर्स


अल्जाइमर एक गंभीर मानसिक रोग है। इस रोग में रोगी की व्यक्तीगत स्मृती क्षमता का ह्वास हो जाता है।

रोगी की स्मृति निर्बल हो जाती है और उसका असर मानसिक कार्यों पर पड़ता है।
आमतौर पर यह मध्यम वय या वृद्धावस्था में मस्तिष्क के ऊतकों की क्षती के कारण होता है।
यह डिमेंशिया-स्मृतीभ्रम का सबसे आम उदाहरण है, जिसका असर व्यक्ति की याद्दाश्त, सोचने की क्षमता, दैनिक/दैनंदिनी गतिविधियों पर पड़ता है।

हेल्थ एक्सपर्ट विशेषज्ञों का कहना है कि अल्जाइमर रोग विशेष रूप से बुजुर्गों को प्रभावित करता है। इसे डिमेंशिया के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी में मरीज की स्मृती क्षमता उत्तरोत्तर घटती चली जाती है और इसका असर व्यक्ति के मस्तिष्क की भौतिक रचना पर भी पड़ता है.

डाॅक्टर-चिकित्सक के अनुसार अल्जाइमर रोग में दिमाग के ऊतकों को नुकसान पहुंचने लगता है। इसके करीबन 10 वर्ष पश्चात व्यक्ति में मस्तिष्क क्षरण के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे स्मृती ह्वास होना। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं डी-जनरेट-क्षरण होकर मरने लगती हैं, इसलिए इसका असर स्मृती एवं अन्य मानसिक कार्यों पर पड़ता है.

अल्जाइमर रोग दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट करता है. अल्जाइमर से पीड़ित मरीजों की उम्र आमतौर पर अधिक होती है. लेकिन यह एजिंग या उम्र बढ़ने का सामान्य लक्षण नहीं है. अल्जाइमर का सही कारण अब तक ज्ञात नहीं है. हालांकि पाया गया है कि यह आनुवंशिक कारकों, डिप्रेशन, सिर की चोट, उच्च रक्तचाप, मोटापे के मरीजों में अल्जाइमर्स रोग अधिक होता है.

उन्होंने कहा कि अल्जाइमर्स रोग में रोगी की याद्दाश्त चली जाती है। इसका असर मरीज के मानसिक कार्यों और पहचानने की क्षमता पर भी पड़ता है। 
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि अल्जाइमर के रोगी के व्यवहार में बदलाव आने लगते हैं, जैसे गुस्सा, चिड़चिड़ापन, अपने शब्दों को दोहराना, बेचैनी, एकाग्रता में कमी, बेवजह कहीं भी घूमते रहना और खो जाना, रास्ता भटकना, मूड में बदलाव, अकेलापन, मनोवैज्ञानिक समस्याएं जैसे डिप्रेशन-अवसाद, हैल्यूसिनेशन-दु:हस्वप्न या पैरानोइया-संभ्रांती/मानसिक उन्माद व विक्षेप भी हो सकती हैं.

शुरुआत में लक्षणों को देखकर अक्सर लोग यह समझते हैं कि ऐसा उम्र बढ़ने के कारण हो रहा है. हालांकि अल्जाइमर का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन आरंभिक अवस्था में रोग निदान के द्वारा रोगी के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। एक न्यूरोलॉजिस्ट - संवेग शिराओं के विशेषज्ञ चिकित्सक ही समय पर इसकी पहचान कर सकते है। इसके लिए पूर्ण जांच एवं न्यूरो इमेजिंग तंत्रिका छबी की जरूरत होती है, क्योंकि कई बार इसके निदान के समय भ्रमित हो जाने का शक होता है.

अल्जाइमर के लक्षण-

- चीजों को भूलना.

- सोचने-समझने में मुश्किल होना.

- खासतौर पर शाम के समय मानसिक रूप से भ्रमित होना.

- एकाग्रता में कमी, नई चीजें सीखने की क्षमता में कमी.

- लोगों को पहचानने में मुश्किल होना.
साभार:
प्रज्ञा बाजपेयी-आजतक

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