निपाह-विषाणु-वायरस
प्रागैतिहासिक काल से पृथ्वी पर मनुष्य प्रजाति विभिन्न महामारियों से त्रस्त रही है, जिनके प्रभाव तथा उत्पत्ति स्थल भी भिन्न होते हैं।
प्राणियों की भिन्न प्रजातियों में संक्रमण करने में सक्षम विषाणुओं को ज़ूनोटिक डिस़ीज से नामित किया गया है। यह मनुष्यों से अन्य प्राणियों में तथा पुनः अन्य प्रणियों से मनुष्यों में संक्रमण करने में सक्षम हैं, तथा विशेष रूप से प्राणघातक तथा विध्वंसक होती हैं।
ज़ूटोनिक बीमारियों का अनूठापन, उन्हें उत्पन्न करने वाले रोगजनक फफूंद, विषाणु, जीवाणु अथवा परजीवी है। यह रोगकारक परजीवी विशेष रूप से पोषित-कोष या संग्रह में जीवित रह पाते हैं जो कि उस रोगकारक परजीवी के प्रति रोग प्रतिरोधक होता है, उन्हें पोषित करता है तथा उनके प्रतिरक्षा प्रणाली से युक्त होता है।
प्राणियों की भिन्न प्रजातियों में संक्रमण करने में सक्षम विषाणुओं को ज़ूनोटिक डिस़ीज से नामित किया गया है। यह मनुष्यों से अन्य प्राणियों में तथा पुनः अन्य प्रणियों से मनुष्यों में संक्रमण करने में सक्षम हैं, तथा विशेष रूप से प्राणघातक तथा विध्वंसक होती हैं।
ज़ूटोनिक बीमारियों का अनूठापन, उन्हें उत्पन्न करने वाले रोगजनक फफूंद, विषाणु, जीवाणु अथवा परजीवी है। यह रोगकारक परजीवी विशेष रूप से पोषित-कोष या संग्रह में जीवित रह पाते हैं जो कि उस रोगकारक परजीवी के प्रति रोग प्रतिरोधक होता है, उन्हें पोषित करता है तथा उनके प्रतिरक्षा प्रणाली से युक्त होता है।
संक्रमण सक्षम वायरस व विषाणुओं के संभावित पोषितकोष, जो इन्हें मनुष्यों में रोपित कर सकने में सक्षम होते हैं, की सूचि प्रशस्त तथा विस्तारी है। वर्तमान में सामान्यतः कपिसमाज, कीटपतंगे, मूषक या कृंतक व चमगादड़ आदि हैं।
संक्रमित रोग तत्पश्चात मनुष्यों में स्थानांतरित हो जाता है जो इन प्राणियों द्वारा काटे गए, अथवा खरोंचे गए घाव, यहां तक कि उनके रहने के स्थान और लार, खकार, विष्ठा तथा जूठन के भी संपर्क में आ जाते हैं। मनुष्यों का इन विषाणुओं तथा वायरस के प्रति रोधक क्षमता का शून्य होना तथा पारेषण या हस्तांतरण का बलवान होना, इन विषाणुओं को संक्रमण फैलाने में और आक्रामक तथा तीव्र बनाता है।
तुलनात्मक रूप से कुछ और कुख्यात ज़ूनोटिक डिस़ीज हैं वेस्ट नाइल, रेबीज़, इबोला तथा डेंग्यू।
तत्कालीन रूप से ज़ूटोनिक बीमारियों का अधिक अवतरण तथा आक्रमण प्राणियों के निवास के बीच मनुष्यों का हस्तक्षेप है तथा इनकी साझेदारी का बढ़ता प्रतिशत है। वनविहीनता तथा खेती का बढ़ता हुआ क्षेत्र मनुष्यों तथा वन्य प्राणियों को एक ही स्थल की साझेदारी करने पर विवश कर रहा है।
तुलनात्मक रूप से कुछ और कुख्यात ज़ूनोटिक डिस़ीज हैं वेस्ट नाइल, रेबीज़, इबोला तथा डेंग्यू।
तत्कालीन रूप से ज़ूटोनिक बीमारियों का अधिक अवतरण तथा आक्रमण प्राणियों के निवास के बीच मनुष्यों का हस्तक्षेप है तथा इनकी साझेदारी का बढ़ता प्रतिशत है। वनविहीनता तथा खेती का बढ़ता हुआ क्षेत्र मनुष्यों तथा वन्य प्राणियों को एक ही स्थल की साझेदारी करने पर विवश कर रहा है।
https://microbewiki.kenyon.edu/index.php/Nipah_Virus
सेना के डायरेक्टर जनरल आफ मेडिकल सर्विसेस की तरफ से एक एडवाइजरी -
इसमें सैनिकों और अधिकारियों को इस बीमारी से बचने के लिए कुछ सलाह दी गई है। इनका पालन करके संक्रमण से बचा जा सकता हैं।
क्या कहा गया है एडवाइजरी में...
- एडवाइजरी में कहा गया है कि, इंफेक्शन-संक्रमण से बचने के लिए चमगादड़ और सुअर से दूरी बनाए रखें।
- संक्रमित इलाकों में पेड़ों से जमीन पर गिरे फलों को बिल्कुल न खाएं।
- एडवाइजरी में कहा गया है कि, इस बीमारी में सबसे पहले सिर दर्द के साथ बुखार की शिकायत होती है।
- इसके बाद दिमाग में तेज जलन होने लगती है और बेचैनी बढ़ जाती है।
- बुखार होने के साथ ही मानसिक रूप से भी कमजोरी महसूस होने लगती है।
- सांस लेने में होने वाली दिक्कत के कारण बीमार व्यक्ति मेंटली वीक-दिमागी रूप से दुर्बल हो जाता है।
- एडवाइजरी में कहा गया है कि, पीड़ित व्यक्ति के पास बिना मास्क-मुँह पत्ती लगाए न जाएं।
- कटे हुए फल खरीदने और खाने से बचें।
- इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर-चिकित्सक को दिखाएं।
dainikbhaskar.com
सेना के डायरेक्टर जनरल आफ मेडिकल सर्विसेस की तरफ से एक एडवाइजरी -
इसमें सैनिकों और अधिकारियों को इस बीमारी से बचने के लिए कुछ सलाह दी गई है। इनका पालन करके संक्रमण से बचा जा सकता हैं।
क्या कहा गया है एडवाइजरी में...
- एडवाइजरी में कहा गया है कि, इंफेक्शन-संक्रमण से बचने के लिए चमगादड़ और सुअर से दूरी बनाए रखें।
- संक्रमित इलाकों में पेड़ों से जमीन पर गिरे फलों को बिल्कुल न खाएं।
- एडवाइजरी में कहा गया है कि, इस बीमारी में सबसे पहले सिर दर्द के साथ बुखार की शिकायत होती है।
- इसके बाद दिमाग में तेज जलन होने लगती है और बेचैनी बढ़ जाती है।
- बुखार होने के साथ ही मानसिक रूप से भी कमजोरी महसूस होने लगती है।
- सांस लेने में होने वाली दिक्कत के कारण बीमार व्यक्ति मेंटली वीक-दिमागी रूप से दुर्बल हो जाता है।
- एडवाइजरी में कहा गया है कि, पीड़ित व्यक्ति के पास बिना मास्क-मुँह पत्ती लगाए न जाएं।
- कटे हुए फल खरीदने और खाने से बचें।
- इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर-चिकित्सक को दिखाएं।
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