06/04/19

व्यसनलिप्तता-एडिक्शन

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व्यसनलिप्तता-एडिक्शन

व्यसन या आसक्ति-एडिक्शन की विशेषता है कि दुष्परिणामों के बावजूद व्यक्ति को मादक औषध-ड्रग, मद्यपान-अल्कोहल की बाध्यकारी लत लग जाती है। 

व्यसन को एक जीर्ण मानसिक रोग भी कह सकते हैं।
मादक द्रव्य वैसे पदार्थ को कहते हैं जिनके सेवन से मादकता-नशे का अनुभव होता है तथा लगातार सेवन करने से व्यक्ति उसका आदी बन जाता है।
हमारे समाज में कई प्रकार के मादक द्रव्यों का प्रचलन है जैसे- मद्यपान, भाँग, गाँजा आदि, जो सामाजिक मान्यता प्राप्त वैध पदार्थ हैं। अनेक अवैध पदार्थ भी काफी प्रचलित हैं जैसे- चरस, हेरोइनब्राउन सुगर तथा कोकिन आदि।
डाक्टरों द्वारा नींद के लिए या चिन्ता या तनाव के लिए लिखी दवाइयों का उपयोग भी मादक द्रव्यों के रूप में होता है।
तम्बाकूयुक्त पदार्थ जैसे सिगरेटखैनीजर्दागुटखाबीड़ी आदि भी इनके अन्तर्गत आते हैं। इनके अलावा कुछ पदार्थों का भी प्रचलन देखा जाता है जैसे- कफ सीरप, फेन्सीडिल या कोरेक्स का सेवन।
वाष्पशील विलायक-वोलाटाइल सोलवेन्ट, यानि वैसे रासायनिक पदार्थों का सेवन जिनके वाष्प को श्वांस द्वारा खींचने पर शराब के नशे से मिलता-जुलता असर होता है, जैसे-पेट्रोल, नेल पॉलिश रिमूवर, पेन्ट्स, ड्राई क्लीनींग सोल्यूसन आदि भी मादक पदार्थ हैं।

मादक द्रव्यों के सेवन का कारण
इसके कई कारण हो सकते हैं। परन्तु साधारणतः इनका सेवन लोग आनन्द के लिए करते हैं। इनके सेवन में थोड़े समय के लिए आनन्द की अनुभूति होती है, आत्म-विश्वास बढ़ा हुआ महसूस होता है तथा शरीर ऊर्जा से भरा हुआ लगता है। चूँकि ये प्रभाव थोड़े समय तक ही रहता है इसलिए दुबारा ऐसी ही अनुभूति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति इनके बार-बार इस्तेमाल करने के लिए विवश हो जाता है।

इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के मानसिक व शारीरिक स्थितियों जैसे- तनाव, चिन्ताअवसादक्रोधबोरियतअनिद्रा तथा शारीरिक पीड़ा आदि से मुक्त होने के लिए भी इनका सेवन किया जाता है।

कई बार दोस्तों के दबाव में आकर घर में बड़े व अन्य से इनका सेवन लोग सीख लेते हैं। कुछ लोग कई प्रकार के अलौकिक व आध्यात्मिक अनुभव के लिए भी इनका सेवन करते हैं, जैसे-साधू, संन्यासी इत्यादि।

चूँकि इन मादक द्रव्यों का प्रभाव थोड़े समय तक ही रहता है इसलिए लोग इनके बार-बार सेवन के लिए विवश हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त लम्बे समय तक लगातार सेवन के बाद व्यक्ति चाह कर भी इनका सेवन नहीं रोक पाता है क्योंकि इनका सेवन बंद करते ही विभिन्न प्रकार के कष्टदायक मानसिक व शारीरिक लक्षण उत्पन्न होते हैं जो दुबारा सेवन करने से ठीक होते हैं। इस प्रकार से भी व्यक्ति लगातार इसके सेवन के लिए विवश हो जाता है और धीरे-धीरे वह इसके शिकंजे में फँस कर इनका आदी बन जाता है।

व्यसनी की पहचान

मादक द्रव्यों के लगातार सेवन से कुछ विशेष लक्षण दिखाई देने लगते हैं जिनके आधार पर यह पहचाना जा सकता है कि व्यक्ति इनका आदी हो चुका है-
सहनशक्ति-टॉलरेंस, अर्थात् नशे के लिए मादक द्रव्यों के मात्रा में बढ़ोतरी, यानि एक निश्चित मात्रा का कुछ दिनों तक लगातार सेवन के बाद पहले जैसे-नशे का अनुभव नहीं करना तथा पहले जैसे-नशे का अनुभव करने के लिए और अधिक मात्रा का सेवन करना।
विनिवर्तन लक्षण-विड्राल सिम्टम, उत्पन्न होना, अर्थात् मादक द्रव्यों का सेवन बन्द करने पर विभिन्न प्रकार के कष्टदायक शारीरिक व मानसिक लक्षणों का उत्पन्न होना जैसे-हाथ-पैर व शरीर में कंपन, अनियमित रक्तचाप, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बेचैनी, हाथ-पैर व शरीर में दर्द व भारीपन, भूख न लगना, मितली-उलटी आदि।
लम्बे समय तक अधिक मात्रा में इनका सेवन करना तथा सुबह उठते ही सेवन शुरू करना।
रूचिकर कार्यों या गतिविधियों से विमुख होना और अधिकतर समय नशीले पदार्थ के जुगाड़ में बिताना या नशे के प्रभाव में रहना।
शारीरिक व मानसिक दुष्प्रभावों के बावजूद सेवन जारी रखना या कोशिश करने के बावजूद सेवन बंद नहीं कर पाना।
सामाजिक, व्यवसायिक व पारिवारिक जीवन पर इस का व्यापक प्रभाव पड़ना।

मादक पदार्थों का व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रभाव
मादक पदार्थों के सेवन से व्यक्ति के सेहत पर बड़ा ही व्यापक प्रभाव पड़ता है तथा व्यक्ति अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो सकता है। उदाहरण के लिए तम्बाकू से मुँह का कैंसर, शराब से यकृत-लीवर व पेट संबंधित बीमारी -सिरोसिसहृदय संबंधित बीमारी उच्च रक्तचापस्नायु तंत्र की कमजोरियाँ, याददास्त, सेक्स व निद्रा संबंधित बीमारी तथा अनेक मानसिक बीमारी भी इनके सेवन से हो सकते हैं, जैसे उन्माद के दौरे भी पड़ सकते हैं। इनके अतिरिक्त कई मनोवैज्ञानिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं जैसे- चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बेचैनीअवसाद आदि का निरंतर अनुभव करना। कई बार तो ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।

आर्थिक स्थिति पर प्रभाव
मादक पदार्थों के सेवन का बहुत ही व्यापक असर आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। चूंकि मादक द्रव्य मुफ्त में तो नहीं उपलब्ध होता है इसलिए आर्थिक स्थिति पर प्रभाव तो पड़ेगा ही। जैसे मादक द्रव्यों पर अधिक खर्च करना, आर्थिक दायित्वों का पूरा न कर पाना, उधार लेना, घर के सामानों को बेचना, घर के व्यक्तियों से मादक पदार्थों के लिए अनावश्यक रूप से अधिक पैसों की मांग करना।
इसके अन्य जीवन कार्यों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है, जैसे-कार्यक्षमता में गिरावट, दक्षता में गिरावट, समय पर काम नहीं कर पाना, कार्यक्षेत्र से अक्सर अनुपस्थित होना, कार्यक्षेत्र में झगड़ा करना, दुर्घटना, निलंबित-सस्पेंड होना, नौकरी बदलना, बेरोजगार होना, दूसरों के साथ गलत व्यवहार व बुरा वर्ताव करना, झगड़ा मारपीट करना, सामाजिक ख्याति या कीर्ति का हनन होना, सामाजिक अवस्था में गिरावट, सामाजिक बहिष्कार होना।

नशा लेने वाले व्यक्तियों का उपचार
उपचार के लिए सबसे जरूरी है - व्यक्ति में नशा छोड़ने की कटिबद्धता और प्रबल इच्छा शक्ति होना। उपचार मुख्यतः किसी नशाविमुक्ति केन्द्र या अन्य स्रोतों के द्वारा संभव है। उपचार में सबसे पहले विनिवर्तन लक्षण-विड्राल सिम्टम्स, को ठीक किया जाता है जिसे निराविषीकरण-डीटॉक्सिफिकेशन कहते हैं। उसके बाद विभिन्न जैविक और मनोवैज्ञानिक उपचार आगे जारी रखने के लिए उपलब्ध हैं। 

मनोवैज्ञानिक उपचार- प्रेरक साक्षात्कार-मोटिवेशनल इंटरव्यू , समूह चिकित्सा-ग्रुप थेरेपी व प्रत्यावर्तन-रीलेप्स प्रिवेंशन आदि काफी महत्वपूर्ण हैं। चिकित्सक मनोवैज्ञानिक व मरीज के सतत् प्रयासों से इस पर काबू पाया जा सकता है। कोई व्यक्ति जो मादक द्रव्यों का आदी हो गया है उस व्यक्ति के अन्दर इन पदार्थों को छोड़ने की इच्छा शक्ति होना आवश्यक है, यदि नहीं है तो मनोवैज्ञानिक इसके लिए आपकी मदद कर सकते है। याद रखें, नशा एक जहर है, आपको इससे बचने तथा इसके इलाज करने में देरी नहीं करना चाहिए।
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ई-सिगरेट

अमरीका के स्वास्थ्य संस्थान सीडीसी द्वारा ई धूम्रपान की लत के वर्तमान चुनौतीपूर्ण दुष्प्रभाव जो अमरीका में कई प्रकरणों में फुफ्फुस-फेफड़े-लंग्स में विकार रूप में नोदित किया गया था का विजञान सम्मत विवरण घोषित किया जो 29 रोगियों के फुफ्फुस तरल के परीक्षण पश्चात प्राप्त किया गया-रासायनिक यौगिक-केमिकल कम्पाउण्ड, विटामिन ई एसिटेट।

Officials at the Centers for Disease Control and Prevention say there has been a breakthrough in the investigation into the outbreak of vaping-related lung injuries that has led to the deaths of 39 people and sickened more than 2,000 others.

अनुसंधानकर्ताओं द्वारा घोषणा की गई कि उन्होंने सभी 29 रोगियों के फेफड़ों-लंग्स के तरल में, जो चिकित्सालय में  ई-धूम्रपान (हुक्का) के हानीकारक सेवन-स्वरूप उपचाररत थे, रासायनिक यौगिक-विटामिन ई एसिटेट पाया गया|  दो हजार से अधिक रोगग्रस्त तथा 39 रोगियों की मृत्यु के फलस्वरूप यह अनुसंधान किया गया।  फेंफड़ों में तरल, साँ फूलना साँस उखड़ना आदि इसके लक्षण हैं जो अननन्तत: कोमा तथा मृत्यु में पिरणत हुई।
लगभग सभी ने वगत काल में गाँजे-मारििजुआना का प्रयोग किया था। विटामिन ई एसिटेट कई खाद्य पदार्थं में पाया जाता है, के लिए प्रसाधन क्रीम में भी।इसे वाष्पीय रूप में श्वसन तंत्र में प्रवेष इसे भयंकरस्वरूप देता है।
अन्य रसायनों का इसमें  उपयोग कोई सुनिश्चित कारण दर्शाने में असमर्थ रहा।
अन्य संभावित कारकों की संलग्नता से सीडीसी द्वारा इन्कार नहीं किया गया है।

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