दुग्ध शर्करा-लेक्टोस इनटोलरेंस-असहिष्णुता।
दूध की एलर्जी से अलग होती है।
दुग्ध शर्करा-लैक्टोज असहिष्णुता-इनटालरेंस की समस्या होती है।
लैक्टोज प्राकृतिक शर्करा की तरह है, जो दूध के उत्पादों में पाया जाता है।
यह पनीर, दही, आइसक्रीम आदि में पाया जाता है।
लैक्टोज असहिष्णुता की समस्या पेट, उदर, में होती है।
इसकी वजह से उदरशूल, दर्द, सूजन, पेट के फूलने जैसी समस्या हो सकती है।
इसके कारण उल्टी, दस्त, मिचली, भोजन ना पचने जैसी समस्याएं भी होती हैं।
ज्यादातर यह समस्या छोटे बच्चों को होती है लेकिन बडे़ लोगों में पेट की बीमारी के उपचार के बाद यह समस्या होती है। ईलाज के बाद यह समस्या शुरू हो जाती है।
इसके लक्षणों को जानने के बाद इसका उपचार आवश्यक हो जाता है।
लैक्टोज प्राकृतिक शर्करा की तरह है, जो दूध के उत्पादों में पाया जाता है।
यह पनीर, दही, आइसक्रीम आदि में पाया जाता है।
लैक्टोज असहिष्णुता की समस्या पेट, उदर, में होती है।
इसकी वजह से उदरशूल, दर्द, सूजन, पेट के फूलने जैसी समस्या हो सकती है।
इसके कारण उल्टी, दस्त, मिचली, भोजन ना पचने जैसी समस्याएं भी होती हैं।
ज्यादातर यह समस्या छोटे बच्चों को होती है लेकिन बडे़ लोगों में पेट की बीमारी के उपचार के बाद यह समस्या होती है। ईलाज के बाद यह समस्या शुरू हो जाती है।
इसके लक्षणों को जानने के बाद इसका उपचार आवश्यक हो जाता है।
https://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/lactose-intolerance-in-hindi-symptoms-and-treatment-1418298726.html
लैक्टोज असहिष्णुता कैसे होती है
लैक्टोज, शर्करा-शुगर का एक प्रकार है, जो छोटी आंतों से स्नवित होने वाले लैक्टेस किण्वक-एंजाइम की मदद से खुद को दो तरह के शुगर ग्लूकोज और गैलेक्टोज में बांटता है। ऐसा न होने पर शरीर लैक्टोज ग्रहण नहीं कर पाता। इससे शरीर में लेक्टोस की कमी होने पर लैक्टोज अहिष्णुता की समस्या होती है।
यह तीन प्रकार की होती है,
1. कॉग्निशियल (जन्मजात),
2. सेकेंडरी और
3. डेवलपमेंटल।
एशियाई लोगों में ज्यादातर ‘डेवलपमेंटल’ के मामले सामने आते हैं, जिसमें बचपन के बाद-किशोरावस्था उपरांत लैक्टोस की कमी हो जाती है, जो कि युवावस्था पर्यंत तक बनी रहती है।
यह तीन प्रकार की होती है,
1. कॉग्निशियल (जन्मजात),
2. सेकेंडरी और
3. डेवलपमेंटल।
एशियाई लोगों में ज्यादातर ‘डेवलपमेंटल’ के मामले सामने आते हैं, जिसमें बचपन के बाद-किशोरावस्था उपरांत लैक्टोस की कमी हो जाती है, जो कि युवावस्था पर्यंत तक बनी रहती है।
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