24/01/20

कोरोना विषाणु

G-BVJED2G3F0

लक्षण--सूखी खाँसी, बहती नाक, घ्राण शक्ति में ह्वास,  भोजन--आहार के रसास्वादन में ह्वास।
यह एक समुद्री-आहार (सी-फ़ूड) से संबंधित  वायरस है। जो वैश्विक स्तर पर संक्रामक है। 
इसका पहला मरीज चीन में सामने आया था जो 5 जनवरी 2020 को अंतिम सांस ले चुका ।
कोरोना वायरस चीन के साथ ही एशिया के दूसरे देशों में पांव पसार रहा है। 
अब तक इस वायरस के तीन मामले जापान और थाइलैंड तथा एक मामला दक्षिण कोरिया में सामने आ चुका है।

कोरोनावाइरस-कोरोनावाइरस स्तनपाई जीवों तथा पक्षियों में संक्रामक रोग उत्पन्न करता है, दुधारू पशुओं-शूकरों में  दस्त, अतिसार प्रवाहिका रोग के साथ, कुक्कुट प्रजाती में ऊपरी श्वांस रोग। मनुष्यों में दुर्लभ किन्तु प्राणघातक श्वसनतंत्र  संक्रमण रोग, जो अधिकतर मृदु होते हैं। इस संक्रामक विषाणु के विरुद्ध रोकथाम या उपचार हेतु, अब तक कोई भी अनुमोदित-स्वीकृत, टीका-वेक्सीन अथवा प्रतिरोधी प्रतिजीवी-एंटीबॉयोटिक, जीवाणुनाशक  उपलब्ध नहीं है।
30 जनवरी 2020 , विवरण-जिनेवा, स्विटजरलैण्ड
बॆलर आयुष अनुसंधान केंद्र- यूएस
वुहान का कोरोना वायरस कितना संक्रामक है?
संक्रमण विज्ञान का एक विशेषांक है-आर-नॉट (शून्य) संक्रमण का मापदंड जो बताता है कि अमुक विषाणु/रोगाणु किसी एक संक्रमित व्यक्ति से, कितने अन्य स्वस्थ मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है। आर0-1 एक और मनुष्य को तथा आर0-2 दो मनुष्यों को तथा तदैव लगातार संक्रमित करता रहेगा।
वर्तमान में चीन में उभरी कोरोनावायरस की आनुवांशिकीय आर0-2.2 औसतन 2.2 अन्य स्वस्थ मनुष्यों को संक्रमित कर रही है।...............................................
चेतावनी जो 2015 से ही मिलने लगी थी:
https://www.weforum.org/agenda/2020/03/bill-gates-epidemic-pandemic-preparedness-ebola-covid-19/
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विस्तार से:
https://www.sciencemediacentre.org/expert-reaction-to-statement-from-south-china-agricultural-university-that-research-has-identified-the-pangolin-as-a-possible-coronavirus-host/
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प्लाविका-प्लाज्मा पद्धति से  उपचारित प्रथम कोविड19 संक्रमित रोगी में स्वास्थ लाभ के प्रबल लक्षणों के चलते कृत्रिम शवशन यंत्र-वेन्टिलेटर की आवश्यकता से मुक्ति।
कोरोना संक्रमित पुरुष रोगी भर्ती किए गए। 
रोग स्थिती लगातार बिगड़ने से कृत्रिम संबल प्राणवायु-ऑक्सिजन संतृप्ति हेतु प्रदान किया गया। परिवार की प्रार्थना पर सहानुभूतिक प्लाविका उपचार की रणनीति अपनाई गई जो कि अपने आप में इस कोरोना संक्रमण के प्रति भारत में उपचार का प्रथम प्रयास/साधन बनी।
उपचार ग्रहण करने के पश्चात कोविड19 संक्रमित रोगी में स्वास्थ्य लाभ दिखाई देने लगा
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इस प्लाविका संचरण से कोविड19 उपचार को आयुष मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित कर दिया है।
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https://g.page/bhargav-chart---posters?gm


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Coronavirus COVID-19 Global Cases by Johns Hopkins CSSE
संचयी -क्यूमुलेटिव वर्तमान आँकड़े-
https://gisanddata.maps.arcgis.com/apps/opsdashboard/index.html#/bda7594740fd40299423467b48e9ecf6
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निजी लैब्स की सूचि-
कोरोना वायरस परीक्षण-टेस्ट हेतु-
लिंक: https://updatedyou.com/covid-19-157-govt-private-labs/
                                  









डॉ.मारिया एलेना बोटाजी  ने बेलॅर आयुष्य महाविद्यालय-कॉलेज द्वारा फॉक्स न्यूज को बताया गया कि यह  प्रतिरोधी टीका-वैक्सीन कुछ वर्ष पूर्व 2003 में सार्स वायरस हेतु विकसित किया गया था।
वर्तमान कोरोना वायरस जो इस प्रकोप का कारण है 2003 में फैले संक्रामक सॉर्स वायरस से एक हद तक समरूप है-लगभग 80%।
सॉर्स वायरस की वेक्सीन-टीका संभाव्यत: कोरोना वायरस का उपचार बन सकेगी, इस आशा में बेलर कॉलेज में दर्जनों वैज्ञानिक दिन-रात परिश्रमरत हैं। टीका-प्रतिरोधक-वेक्सीन विकसित करना एक श्रमसाध्य कार्य है जो तीन चरणों में पूर्ण हो पाता है। इन वैज्ञानिकों के लिए प्रथम चरण पहले ही सम्पन्न हो चुका है, इसके पश्चात प्राणी-जीवों पर परीक्षण का चरण है।
मनुष्यों पर परीक्षण से पूर्व हमें गहन अध्ययन करना होगा जिसे विषाणुशास्त्रीयअण्वेषण कहते है जो कि उपयुक्त प्रतिमान- मनुष्य नहीं, पर परीक्षण इसे अन्तत: सुरक्षित साधन/उत्पाद सिद्ध करेगा-बोटाजी
वेक्सीन/प्रतिरोधी/टीका की क्षमता है कि वह विषाणु-वायरस के संग्राह्यकों को कोशिका में प्रवेश करने से बाधित करता है। कोरोना वायरस के उपचार के साथ ही यह इसके वृत्त को, इसके होने को भी रोकता है। यह कुछ ऐसा है जिसके विषय में बोटाजी अधिकाधिक आश्वस्त हैं कि वह प्राप्त करेंगे।
हम इस मोड़ से काफी आगे हैं, सत्य ही हमारे पास, यहाँ-ह्यूस्टन में,
शीतलक के अन्दर,जो की तीव्रता से तैनात/प्रसारित किया जा सकता है
और वर्तमान में समस्त विश्व में कोरोना वायरस के प्रकोप से संक्रमित मनुष्यों हेतु संपुष्ट आधार होगा।
बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसीन-बेलर आयुष्य संस्थान कार्यनिधी-फंडिंग हेतु विभिन्न व एकाधिक कार्यनिधी-संस्थानों के साथ इस  परियोजना पर कार्यरत है।
सबकुछ ठीक से संपादित होने पर यह टीका-वेक्सीन बाजार-मार्केट में डेढ़ से दो वर्ष के अन्दर उपलब्ध होगा।
https://www.fox26houston.com/news/could-a-cure-for-the-coronavirus-be-right-here-in-houston
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भारतीय परंपरानुसार आयुर्वेद-योगानुसार-
विपरीत परिस्थिती में धैर्य न त्यागेॆं विषमता में सृजन का भाव मस्तिष्क में आशा की ऊर्जा का संचार कर रोगाणु का प्रतिरोध करता है।विध्वंस ऋणात्मक होकर विकार को ही जन्म देॆता है।
प्राणायाम-योग-मन की एकाग्रता प्रदान करे।
भ्रामरी, कपालभाँति, भस्ति्का आदि।
संपर्क मात्र नमष्कार से।
आयुर्वेदिक औषधी: देशी गौदुग्ध-घृत, शुद्ध हल्दी, गिलोय, काली मिर्च। आहार में सात्विक भारतीय पूर्णाहार।
तामसिकता त्याग दें, भोजन-आहार सात्विक रखें।
स्वच्छता पर ध्यान दें।
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11 मार्च 2020
Imageविश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना संक्रमण को वैश्विक महामारी घोषित किया गया।
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14 मार्च 20-जी न्यूज
जयपुर में कोरोना रोगी केॆ उपचार हेतु चिकित्सकों द्वारा
मलेरिया, एड्स तथा स्वाइन फ्लू की सम्मिलित औषधियों
के प्रयोग से कोविड19 वायरस को नष्ट करने में सफलता प्राप्त हुई है।
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विश्व में विभिन्न उपचारों से व चिकित्सकीय प्रयासों से लगभग 74,000 संक्रमित व्यक्ति स्वस्थ हो चुके हैं ।
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भारत सरकार की अनुुशंषाऐं https://youtu.be/pvG4OiwoR2U



March 20, 2020 -- A person's blood type may affect their risk for COVID-19, the disease caused by the new coronavirus, researchers report.
They analyzed blood samples from nearly 2,200 COVID-19 patients in China and tens of thousands of healthy people, and found those with A blood types had a significantly higher risk of COVID-19 while those with O blood types had a significantly lower risk, Newsweek reported.
The findings appear on the website medRxiv, where health researchers publish studies before they undergo the peer review process required by journals.
The researchers said blood type-related differences in COVID-19 risk may be due to certain antibodies in the blood, but further studies are needed to confirm this, Newsweek reported.
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नई दिल्ली: सरकार ने एक मोबाइल एप लॉन्च किया है. इस एप नाम 'आरोग्य सेतु' (Arogya Setu app) है. इस एप की मदद से लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और जोखिम का आकलन करने में मदद मिल सकेगी. यह एप लोगों को वायरस से संक्रमित व्यक्ति के नजदीक जाने पर सतर्क करेगा.

मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, एप केवल ताजा मामलों का पता लगाएगा और केवल उन्हीं लोगों को सतर्क करेगा जो संक्रमित व्यक्ति के आस-पास रहे हैं. एक सरकारी बयान में कहा गया है. ' यह एप आवाज के जरिये इस्तेमाल में आने वाली तकनीक से संकमितों का पता लगाने में मदद करेगा. इसमें अति आधुनिक ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी, एल्गोरिदम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग शामिल है. यह एप 11 भाषाओं में उपलब्ध है. इसे एंड्रियोड और ioS दोनों प्लेटफार्म पर लॉन्च किया गया है. आईटी मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति चिकित्सा परीक्षण के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाता है तो संक्रमित व्यक्ति का मोबाइल नंबर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बनाए गए रजिस्टर में शामिल होगा और एप पर भी इस सूचना को अपडेट किया जा जायेगा. अब तक, देश में कुल 2,116 लोगों में कोरोनो वायरस संक्रमण का पता चला है, जिनमें से 150 ठीक हो गए हैं . दुनियाभर में करीब 50 हजार लोगों की इस महामारी के कारण मौत हो चुकी है. भारत में 50 लोगों की अब तक कोरोना वायरस से मौत हुई है.
https://economictimes.indiatimes.com/hindi/news/corona-virus-govt-launch-aarogya-setu-aap/articleshow/74960844.cms

Read more at:
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यह भी देखें:
https://hindime.net/aarogya-setu-app-kya-hai-hindi/
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भारतीय चिकित्सा परिषद

भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा कोरोना वायरस-कोविड19 द्वारा मानव संक्रमण के परीक्षण हेतु नवीन रणनीति की रूपरेखा घोषित की है । 
संशोधित रणनीति के अनुसार स्पर्शोन्मुख, प्रत्यक्ष व उच्च संकट,संक्रामक आशंका वाले संपर्कों (संक्रमित व्यक्ति के) जो कि पुष्टिकृत है, प्रत्येक पाँचवे व चौदहवें दिन करना आवश्यक है।
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भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा कोरोना वायरस-कोविड19 द्वारा मानव संक्रमण के परीक्षण हेतु नवीन रणनीति की रूपरेखा परीक्षण के नवाचार-प्रोटोकॉल के तहत सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को, संभावित संक्रमित होने की आशंका के तहत जोड़ा गया  है। सभी लाक्षणिक संपर्कों को भी परीक्षण कसौटी पर रखा गया है। भारतीय चिकित्सा परिषद के निर्देशानुसार सभी लक्षणात्मक स्वास्थ्यकर्मी तथा गंभीर श्वसन रोग से ग्रस्त (ज्वर व कफ के साथ श्वसन व्यवधान) भी इसमें सम्मिलित हैं।
संघीय स्वास्थ्य मंत्रालय व परिवार कल्याण के अनुसार निश्चित संक्रमण क्षेत्र- विशाल प्रवासीय समूह, विस्थापित, निष्क्रमणार्थी में अवस्थित सभी लक्षणात्मक रोगी(ज्वर, कफ, गल शोथ/दाह, नासिकाप्रवाह आदि सभी व्यक्तियों का परीक्षण सात दिनों के अंदर (वास्तविक कालक्रम में पॉलिमरेस चेन रिएक्शन या पीपीटी-पीसीआर) रोग के सात दिनों में किया जाए, चिकित्सा परिषद द्वारा प्रतिरक्षी-एण्टीबॉडी परीक्षण भी अनुशंषित किया है (नकारात्मक हो तो आरआरटी-पीसीआर द्वारा निश्चित किया जाए)।
139 शासकीय प्रयोॊगिक संस्थान तथा 65-पैंसठ व्यक्तिगत प्रयोग/परीक्षण स्थल (नवीन) कोविड19 हेतु वर्तमान में अधिकृत हैं। 
भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को कोविड19 के संक्रमण के उपचार हेतु परीक्षणों के संतोषजनक निष्कर्ष मिलने तक अनुशंषित नहीं किया है। 
शीर्ष विज्ञानी श्री गंगाखेड़कर द्वारा पुन: दोहराया गया है कि भारत अभी कोविड19 संक्रमण के तृतीय चरण अर्थात सामुदायिक संक्रमण की सीमा से दूर है। 
प्लाविका/रक्तरस-प्लाज्मा, आधान/संचार-ट्रांसफ्यूसन
तीन भारतीय अमेरिकी, कोविड19 के संक्रमण से चिंताजनक स्थिति में उपचारार्थ भर्ती किए गए थे। 
इनके उपचार में प्लाविकाधान तकनीक से कोविड19 संक्रमण दुष्प्रभावों में सुधार की स्थिती है। प्लाविका-प्लाज्मा  इस विषाणु संक्रमण से स्वस्थ हुए व्यक्तियों से प्राप्त किया गया।
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हाइड्रो ऑक्सि क्लोरोक्विन

आरंभिक परीक्षण जो चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों में हाइड्रो ऑक्सि क्लोरोक्विन  किए गए, यह तथ्य सामने आया है कि इस औषधि से आरोग्य प्रोत्साहन शीघ्र ही स्वास्थ्यलाभ देता है। 
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किंतु साधारण मान कर भुला दिया गया, साथ ही भुला दिया गया विज्ञानी अण्वेषक जून अल्मिडा को। 
जून अल्मिडा वर्ष 1963 में कनाडा ओण्टेरियो कैंसर संस्थान के विद्युदणु अतिसूक्ष्मदर्शी-इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोप पर काम करती थीं। 
जून अल्मिडा वर्षांत तक अपनी विशेष तकनीक द्वारा प्रथम दृष्टा बनी उस विषाणु की जो सहस्त्रों निरीह मनुष्यों का काल सिद्ध हुआ। अल्मिडा द्वारा देखा गया- मणिश्रृंखला के मध्य धूसर गोल बिंदु, सूर्य वलय-सन्स कोरोना इसी कोरोना नाम से जाना गया। इस अण्वेषण के केन्द्रीय व्यक्तित्व का यह पड़ाव सर्वश्रेष्ठ था क्योंकि यह 34 वर्षीय विज्ञानी अपनी औपचारिक शिक्षा भी पूर्ण नहीं कर पायी थी।
https://www.nationalgeographic.com/history/2020/04/june-almeida-discovered-coronaviruses-decades-ago-little-recognition/?cmpid=org=ngp::mc=crm-email::src=ngp::cmp=editorial::add=SpecialEdition_20200417&rid=7F0EDD1E43A8D63EEC5AAACEC4709622
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रेमडेसिविर
हमारे पास स्पष्ट साक्ष्य है कि विशेष औषधि कोरोनावायरस के संक्रमण के उपचार में सहायक है। वैश्विक चिकित्सालयों में संक्रमण के लक्षणों के अंतराल को रेमडेसिविर द्वारा 15 से 11 दिनों में सिमटने के साक्ष्य प्रायोगिक स्थिति में मिले हैं-अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग। डॉ एन्थोनी फॉसी-राष्ट्रीय संक्रमण संस्थान- संक्रमण से आरोग्य प्राप्ति के अंतराल को कम करने में सकारात्मक प्रभाव।
औषधि जो इस विषाणु-वायरस को अँकुश लगा कर संक्रमित रोगी का उपचार करने में सक्षम है। हालांकि इसे 30% सफलता के साथ संपूर्ण व अचूक मानना अपरिपक्वता होगी। इसके साथ ही कोविड19 के उपचार हेतु मलेरिया एचआईवी की औषधि भी परीक्षित हैं जो विषाणु पर आक्रामक होने के साथ प्रतिरोधकता को भी शांत करे, अर्थात आरंभिक संक्रमण में विषाणुनाशक व संक्रमण उत्तरार्ध में प्रतिरोधी संवेगी हो सके।
https://www.bbc.com/news/health-52478783
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भारत में 2 मई से ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल-मुँबई द्वारा जापान में उपचारार्थ फेविपिराविर ड्रग का परीक्षण कोविड19 संक्रमित रोगियों हेतु भारत में किए जाने की अनुमति प्राप्त कर महत्त परीक्षण आरम्भ किया गया।
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सामान्य समय में प्रति वर्ष लगभग तीस लाख मनुष्य प्रदूषण के कारण प्राण हार जाते हैं
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https://coronavirus.jhu.edu/
http://cdc.gov/

On what "90 % effective" means in the context of the Pfizer vaccine

https://www.quora.com/q/coronavirus?__ni__=0&__nsrc__=4&__snid3__=13783789927&__tiids__=15006364


No. They’ve made no claim of that, nor can it be inferred from the data they have reported.

The full trial protocol is here: https://pfe-pfizercom-d8-prod.s3.amazonaws.com/2020-11/C4591001_Clinical_Protocol_Nov2020.pdf and it’s very useful in unearthing what this first result does and doesn’t mean.

Basically, they randomly split their huge trial group (it looks like being 64,000 people in this phase 3 stage) into a control or trial group. Each person got either two doses of the vaccine or two doses of a placebo. They then watched to see who got COVID. This result seems to be coming from a period of 7 days after the second dose of the vaccine.

Seven days after this booster dose, then 94 people being tracked in the trial (it is unclear whether this is the full 64k people) had developed COVID. It’s important to realise that neither the trial participants, nor those administering the vaccine, nor those testing them for COVID, had any idea who had received the vaccine, and who the placebo.

So, if the vaccine did nothing, then you’d expect there to be about 47 from each group, with some allowance for random variation.

But when the small team who had access to the unblinding information looked up who was in each group, this is not at all the split they found.

Instead, many more of the people who tested positive turned out to have been in the control group than in the vaccinated group. The brief report doesn’t actually give the raw numbers, but just reports that the implication is that the vaccine is ~90% effective at prevention of (symptomatic) COVID.

One can make a naive calculation that this means that there may have been ~8 people in the vaccine group and ~86 people in the control group who got COVID, but there is almost certainly better, more conservative mathematics being done which allows for random variation and spits out that 90% headline figure as a lower bound.

So, what it means is that a vaccinated person, on that seven-day timescale, has their chances of getting COVID reduced to about a tenth of the chances of an unvaccinated person.


That is a simply staggering reduction.

We do not know a lot of things at this stage. The most important is the point mentioned in the question: does it suppress transmission of COVID as effectively as it does the development of sympomatic cases? If it does, then a 90% suppression would mean that any decently-vaccinated population would have an R-value well below 1 and future outbreaks of COVID would die out very quickly. But the data so far makes absolutely no claim on its effect on transmission (and it’s hard to see how it could, with a relatively small and scattered group of 32,000 vaccinated people circulating in an unvaccinated population).

But even if transmission is not suppressed by much at all, then taking down symtpomatic case numbers down by 90% is an astonishing gain, and would — assuming this reduction is uniform across age ranges; another thing not reported in these early results — have a similar huge reductive effect on mortality.

It is excellent news. And it’s worth understanding just what kind of excellent news it is.




Sat Mar 13
People who have recovered from COVID-19 likely have high levels of antibodies for 6 months or more, which should protect them from reinfection, a new study finds. wb.md/3uMkRKQ
मास्क (मुँहपत्ती) प्राणिमात्र से शारीरिक दूरी, असंसर्ग , स्वच्छता, आहार आदि का संयम रखने के साथ उद्वेग, नैराश्य तथा मोह से विलग कर्मरत रहकर मनन-ध्यान से प्रभु आराधना करें।

10 variant names…
Original Covid virus found in China (Wuhan) in December 2019
Alpha variant: B.1.1.7 variant spotted in the UK (Kent) in September 2020
Beta variant: B.1.351 variant first found in South Africa in May 2020
Gamma variant: P.1 variant first spotted in Brazil in November 2020
Epsilon variant: B.1.427/ B.1.429 variant spotted in USA in March 2020
Zeta variant: P.2 variant found in Brazil in April 2020
Eta variant: B.1.525 variant found in multiple countries in December 2020
Theta variant: P.3 variant spotted in Philippines in January 2021
Iota variant: B.1.526 variant found in USA in November 2020

The World Health Organisation's move came after India objected to the B.1.617 mutant of the novel coronavirus being termed an "Indian Variant" in media reports with the Union Health Ministry pointing out that the UN's top health organ has not used the word "Indian" for this strain in its document.

Kappa variant: B.1.617.1 First found in India.
Delta variant: B.1.617.2 First found in India.

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