तत्कालीन ज़ीका वायरस के लिए सर्वाधिक कारक प्रजाति वही है जो डेंगू वायरस तथा यलो फीवर की प्राथमिक वाहक है।
डेंगू और प्रचंड (गंभीर) डेंगू
डेंगू और प्रचंड (गंभीर) डेंगू
कुछ तथ्य:
- डेंगू एक मच्छरों द्वारा (काटने से) फैलनेवाला संक्रामक रोग है।
- डेंगू के संक्रमण में फ्लू के बुखार जैसे लक्षण होते हैं। यह संक्रमण कभी कभी प्रचंड (गंभीर) डेंगू में बदल जाता है, जिसमें घातक जटिलताऐं पैदा हो जाती हैं।
- पिछले कुछ दशकों से समस्त विश्व में, आकस्मिक रूप से डेंगू तथा प्रचंड (गंभीर) डेंगू के संक्रमण की व्यापकता तीव्र हुई है।
- वर्तमान में समस्त विश्व की आधी आबादी इसके संक्रमण क्षेत्र में है।
- डेंगू संक्रमण समस्त विश्व के उष्णकटिबंधीय तथा समशीतोष्ण प्रदेशों के शहरी तथा अर्धशहरी हिस्सों में फैलता है।
- प्रचंड (गंभीर) डेंगू संक्रमण ऐशियाई तथा लेटिन अमरीकी देशों के बच्चों में बीमारी तथा मौत का मुख्य कारण है।
- डेंगू अथवा प्रचंड (गंभीर) डेंगू के संक्रमण का कोई निश्चित या विशेष इलाज नहीं है, लेकिन शीघ्र विवेचन और त्वरित चिकित्सा के साथ उचित देखभाल से अकालमृत्यु दर को सिर्फ 1% तक सीमित किया जा सकता है।
- डेंगू संक्रमण से बचाव करने और उसपर काबू करने हेतु, सिर्फ सही दिशा में तथा प्रभावकारी प्रयास ही एकमात्र विकल्प है।
http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs117/en/#.VbfgtR-ZIRY.linkedin
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डेंगू और मलेरिया
डेंगू
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मलेरिया
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डेंगू
संक्रमण मादा ऐडीस मच्छर,और उसकी विभिन्न प्रजातियों द्वारा काटे जाने से
होता है। और विभिन्न प्रजातियों से अलग-अलग समय पर संक्रमण होता है।
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मलेरिया
एक तीव्र या स्थाई (पुराना) रक्त संक्रमण है, जो लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद
होता है। यह एक मनुष्य से दूसरे तक एनॉफिलीज़ मच्छर द्वारा काटने से
फैलता है।
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https://www.linkedin.com/grp/post/120372-6031888655197421569
आइये इसे विस्तार से समझते हैं :
आइये इसे विस्तार से समझते हैं :
डेंगू
बुखार एक बहुत संक्रामक रोग है । इसे हड्डी तोड़ रोग के नाम से भी जाना जाता है। ये
मच्छरों
के काटने के कारण होता है। उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों
में यह बड़ी तेजी से फैलता है। 1950 के दशक में सबसे पहले फिलीपींस और थाईलैंड में डेंगू
के संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। अब भारत तथा लैटिन अमेरिका के कई देशों
में डेंगू महामारी की तरह फैल रहा है।
कुछ डेंगू मामलो में ये रोग जीवन-ग्राही रक्तस्रावी बुखार में बदल जाता है
जिसके परिणामस्वरूप रक्तस्राव, ब्लड प्लेटलेट्स
में निम्न स्तर और रक्त प्लाज्मा
में रिसाव होता है।
डेंगू बुखार
मच्छरों
की कई प्रजातियों जिसमें जीनस एडीज,
मुख्यत: एडीस ए-एजिप्टी के द्वारा फैलता है। हल्के
या मध्यम डेंगू के उपचार में रिहाइड्रेशन के लिए मौखिक या नसों में सीधे तरल पदार्थ दिया जाता है। गंभीर डेंगू
के होने पर नसों में तरल पदार्थ के साथ रक्त रक्ताधान भी होता है ।
लक्षण
डेंगू
के लक्षण सामान्यत: तीन से चौदह दिनों के अंदर विकसित होते है। इसके बाद डेंगू का
वायरस इंक्युबेशन की अवधि में (डेंगू का मच्छर काटने के बाद से डेंगू का
लक्षण विकसित होने तक की अवधि को इंक्युबेशन अवधि कहते है) उजागर होता है।
साधारणतः यह अवधि चार से सात दिन की हो सकती है।
डेंगू के लक्षण निम्नलिखित है:-
· अचानक तीव्र ज़्वर
· सिरदर्द (सामान्यत आंखों में दर्द होता है)
· मांसपेशियों और जोड़ों में भयानक दर्द
· चकत्ते निकलना
· ठंड लगना (कांपना )
· त्वचा पर लाल चकत्ते बनना
· मुँह पर निस्तब्धता आना
· भूख न लगना
· गले में खराश
· असामान्य रूप से कान, मसूड़ों और पेशाब आदि से ख़ून बहना
· अचानक तीव्र ज़्वर
· सिरदर्द (सामान्यत आंखों में दर्द होता है)
· मांसपेशियों और जोड़ों में भयानक दर्द
· चकत्ते निकलना
· ठंड लगना (कांपना )
· त्वचा पर लाल चकत्ते बनना
· मुँह पर निस्तब्धता आना
· भूख न लगना
· गले में खराश
· असामान्य रूप से कान, मसूड़ों और पेशाब आदि से ख़ून बहना
कारण
डेंगू
संक्रमित मच्छर से फैलता है, जिसे एडीज एजिप्टी मादा मच्छर कहते
है। सामान्यत: यह मच्छर दिन में और कभी-कभी रात में काटता है। डेंगू का
वायरस आरएनए फ्लैविवीरिद परिवार से है। इस रोग के वायरस चार प्रकार के होते
हैं, जिन्हें सिरोटाइप कहा जाता है। ये
निम्नलिखित है:- डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4
डेंगू
वायरस का प्रसार एक चक्र के अंतर्गत होता है। जब मादा मच्छर द्वारा संक्रमित
व्यक्ति को काटा जाता है। इसके बाद जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है
तब यह वायरस व्यक्ति में चला जाता है और इस तरह यह चक्र लगातार चलता रहता है।
रोग निदान
अत्यधिक तीव्र ज़्वर(चालीस डिग्री सेल्सियस से अधिक)होने पर संभावित रोग की पहचान निम्नलिखित दो के आधार पर की जाती है:-
· गंभीर सिरदर्द
· आँखों में दर्द अपितु आँखों को हिलाने और डुलाने में भी तकलीफ़ का होना
· मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
· मतली या उल्टी होना
· ग्रंथियों में सूजन
अत्यधिक तीव्र ज़्वर(चालीस डिग्री सेल्सियस से अधिक)होने पर संभावित रोग की पहचान निम्नलिखित दो के आधार पर की जाती है:-
· गंभीर सिरदर्द
· आँखों में दर्द अपितु आँखों को हिलाने और डुलाने में भी तकलीफ़ का होना
· मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
· मतली या उल्टी होना
· ग्रंथियों में सूजन
सूक्ष्म परीक्षण:
शीघ्रातिशीघ्र
प्रयोगशाला में सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की संख्या के कम होते स्तर की जांच जाती है
ताकि इसके द्वारा कम प्लेटलेट्स और मेटाबॉलिक ऐसिडोसिस को देखा सकें। आमतौर
पर लीवर से अमीनो ट्रांस्फ़्रेज़ का सामान्य उच्च स्तर (एएसटी और एएलटी) कम
प्लेटलेट्स और सफेद रक्त कोशिकाओं के साथ जुड़ा हुआ है।
रैपिड
डायग्नोस्टिक टेस्ट:
रैपिड
डायग्नोस्टिक टेस्ट विशेष रूप से एंटीडेंगू आईजीजी और आईजीएम एंटीबॉडी की जाँच
करने में एक उत्कृष्ट कार्यप्रणाली प्रदान करता है। आईजीजी एंटीबॉडी के हाई टाइटर
की मौजूदगी,
आईजीएम एंटीबॉडी के नमूने का पता लगाने में बाधा उत्पन्न नहीं करती
है।
इसका
परीक्षण अत्यधिक शुद्ध डेंगू प्रोटीन मिश्रण के उपयोग द्वारा डेंगू के समस्त चारों
तरह के सिरोटाइप का पता लगाया जा सकता है।
प्रबंधन
वर्तमान
समय में,
डेंगू का उपचार लक्षण के अनुसार:-
एस्प्रीन
आदि दवाईयां लेने से रक्तस्त्राव बढ जाता है। इनके उपयोग से बचना चाहिए इनके स्थान
पर पेरासिटामोल जैसी दवाईयां दर्द में सहायता करती है। बिस्तर पर उचित आराम और तरल
पदार्थ का व्यापक सेवन करें। अगर तीन से पांच दिनों के बाद भी हालत में सुधार नहीं
होता है तो चिकित्सक से सलाह ले।
जटिलता
संभावित
रूप से एक व्यक्ति गंभीर डेंगू से पीड़ित है उसे अति गंभीर डेंगू के रूप में जाना
जाता है। इसका कारण अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन इसके ख़तरे का मुख्य कारण पहले से
संक्रमित होना होगा। प्राय: आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। अति गंभीर डेंगू के
लक्षणों से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अति गंभीर डेंगू से पीड़ित
व्यक्तियों के साथ एक अन्य समस्या यह है कि वे अचानक कम रक्तचाप का अनुभव कर सकता
हैं। इसे डेंगू आघात सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। डेंगू आघात सिंड्रोम के
लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
· ठंडी और चिपचिपी त्वचा
· कमज़ोर नब्ज़ चलना
· सूखा गला
· पेशाब में कमी
· साँस का तेज़ चलना
· ठंडी और चिपचिपी त्वचा
· कमज़ोर नब्ज़ चलना
· सूखा गला
· पेशाब में कमी
· साँस का तेज़ चलना
रोकथाम
· डेंगू से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन बाज़ार में उपलब्ध नहीं है।
· इसकी रोकथाम का सबसे सरल उपाय यह है कि मच्छरों के काटने से बचा जाएं।
·
दिन में मच्छर के काटने से बचने वाले
उत्पादों का प्रयोग करें।
· मच्छरदानी लगाकर सोएं।
· डेंगू से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन बाज़ार में उपलब्ध नहीं है।
· इसकी रोकथाम का सबसे सरल उपाय यह है कि मच्छरों के काटने से बचा जाएं।
· मच्छरदानी लगाकर सोएं।
बाहर
जाते समय पूरी बाँह व लंबी पैंट आदि कपड़ों का प्रयोग करें। शरीर को मच्छर के काटने
से बचने के लिए कीटनाशक उत्पादों (डीईईटी से युक्त) का प्रयोग करें।
विशेषत: जब आप डेंगू प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करें तो शरीर के अधिकांश भागों को
ढक कर रखें। मच्छरों की प्रजनन क्षमता को कम करने के लिए पानी के कंटेनर को ठीक
तरह से हमेशा कवर करके रखें।
और जानने के लिऐ देखिये-
http://hi.nhp.gov.in/disease
जोखिम
जोखिम
डेंगू से पीड़ित वयस्कों से अधिक शिशुओं तथा बच्चों में बीमारी की
गंभीरता होने की अधिक संभावना होती है। बच्चे यदि अच्छी तरह से पोषित हों तो उनके
गंभीर रूप से बीमार होने की अधिक संभावना है (यदि वे स्वस्थ हैं तथा अच्छी तरह से
पोषित हैं)। (यह अन्य दूसरे संक्रमणों से भिन्न है जो कुपोषित, अस्वस्थ, या अच्छे
पोषण की कमी वाले बच्चों में अधिक गंभीर होते हैं।) महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों
में गंभीर बीमारी की संभावना अधिक होती है। पुरानी (दीर्घ-अवधि) की बीमारियां जैसे मधुमेह तथा अस्थमा वाले लोगों में डेंगू जीवन के लिये खतरा हो सकता
है।
https://hi.wikipedia.org
https://hi.wikipedia.org