13/11/15

क्षय रोग या तपेदिक





TB Tubercle Bacillus MDR TB, HIV

विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार तपेदिक या क्षय रोग, और एच.आई.वी. HIV, विश्व की सर्वाधिक जानलेवा बीमारी है।

प्रत्येक बीमारी प्रतिवर्ष क्रमशः 11 और 12 लाख मनुष्यों के प्राण ले लेती है (2014)।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार क्षय रोग, जो कि उपचार योग्य है, से इतनी बड़ी संख्या में मानव हानि अस्वीकार्य है।
सक्रिय टीबी संक्रमण













तपेदिक या क्षय रोग
यह हवा के माध्यम से फैलता है। सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति जब खाँसते या छींकते हैं, तब हवा के माध्यम से अपने जलीय लार कण हवा में संचारित कर देते हैं। साथ ही क्षय रोग के रोगाणु भी इन जलीय लार कणों के द्वारा फैलते हैं जो स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तथा उसे भी संक्रमित कर देते हैं।
टीबी संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति खाँसते या छींकते हैं
तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (Tubercle Bacillus) एक सामान्य तौर पर पाया जाने वाला रोग है। कई मामलों में यह एक घातक संक्रामक बीमारी है जो सूक्ष्म रोगाणु, माइक्रोबैक्टीरिया, की वजह से होती है। यह हवा के माध्यम से फैलता है। सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति जब खाँसते या छींकते हैं, तब हवा के माध्यम से अपने जलीय लार कण हवा में संचारित कर देते हैं। साथ ही क्षय रोग के रोगाणु  भी इन जलीय लार कणों के द्वारा फैलते हैं जो स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तथा उसे भी संक्रमित कर देते हैं।
लक्षण
थूक के साथ खून आना, पुरानी खाँसी, बुखार, रात को पसीना आना और वजन घटना। यदि आवश्यक हो तो सामाजिक संपर्कों की भी जाँच की जाती है और उपचार किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि वैश्विक आबादी का एक तिहाई, एम.तपेदिक, से संक्रमित है।
नये संक्रमण प्रति सेकंड एक व्यक्ति की दर से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, 2007 में विश्व में, 137 लाख जटिल व सक्रिय मामले थे,  जबकि 2010 में लगभग 88 लाख नये मामले सामने आए और 15 लाख संबंधित मौतें हुई हैं, जो कि अधिकतर विकासशील देशों में हुई थीं।  2006 के बाद से तपेदिक मामलों की कुल संख्या कम हुई है और 2002 के बाद से नये मामलों में कमी आई है।


संकेत एवं लक्षण
इनमें से कई लक्षण टीबी के विभिन्न रूपों में समरूप होते हैं। 
तपेदिक से संक्रमित 5 से 10% लोग, जिनको एचआईवी नही होता है, उनके जीवन काल के दौरान सक्रिय रोग विकसित हो जाता है। 
तपेदिक शरीर के किसी भी भाग को संक्रमित कर सकता है, लेकिन आम तौर पर सबसे अधिक फेफड़ों में होता है, जो फुफ्फुसीय तपेदिक के रूप में जाना जाता है।  


श्वाँस अँगों संबंधी
यह आम तौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है। ऐसा लगभग 90% मामलों में देखा गया है। 
इसके लक्षणों में सीने में दर्द रहता है और लंबी अवधि तक खाँसी व कफ की शिकायत हो सकती हैं।
कभी-कभी, लोगों को खाँसी के साथ अल्प मात्रा में रक्त आ सकता है  
तपेदिक एक दीर्घकालीन बीमारी है और फेफड़ों के ऊपरी भागों में व्यापक घाव पैदा कर सकती है।
दवाओं के प्रतिरोधी तपेदिक

दवाओं के प्रतिरोधी तपेदिक (MDR-TB) संक्रमणों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बढ़ती हुई समस्या है। इसकी रोकथाम जाँच कार्यक्रमों और बेसिलस काल्मेट-गुएरिन बैक्सीन द्वारा टीकाकरण पर निर्भर करती है।

ऐसा माना जाता है कि वैश्विक आबादी का एक तिहाई, एम.तपेदिक, से संक्रमित है। 

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से


शीघ्रातिशीघ्र प्राणघातक क्षयरोग-टीबी से 90 प्रतिशत भारतीयों के प्रतिरक्षीकरण का लक्ष्य - मा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
श्री नरेन्द्र मोदी

प्रधान मंत्री श्री मोदीजी ने कहा कि गत 3.5 वर्षों में क्षयरोग से प्रतिरक्षीकरण  में 6 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है तथा उन्होंने अगले वर्ष 90 प्रतिशत तक प्रतिरक्षीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने का विश्वास व्यक्त किया।
गत 30-35 वर्षों से चींटी की चाल चलने वाले क्षयरोग क्षमीकरण कार्यक्रम से देश प्रतिरक्षीकरण को शत प्रतिशत प्राप्त नहीं कर पाया था। 2014 तक मात्र एक प्रतिशत की बढ़त से चलने वाले क्षय रोग क्षमीकरण कार्यक्रम से 40 वर्षों में भी शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं था।
प्रधानमंत्री द्वारा समयपूर्व क्षय रोग के पूर्ण टीकाकरण का विश्वास व्यक्त किया गया। अर्थात मनुष्य की आंतरिक रोगप्रतिरोधक शक्ति को इस रोग से बचाव हेतु सक्षम कर दिया जाएगा, फलतः भारतीय समाज क्षयरोग मुक्त होगा। क्षय रोग मुक्त ग्राम, पंचायत, जिला तथा राज्य स्तर पर इस वृहद कार्यक्रम में हरसंभव प्रयास करने हेतु आव्हान किया।
क्षय रोग जनसामान्य के जीवन को प्रभावित करता है, जनधन को तथा अंततः देश को भविष्य को और गरीब परिवार इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। क्षय रोग उन्मूलन सीधे तौर पर उनके जीवन को प्रभावित करेगा।
हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री की अर्धांगिनी श्रीमती कमला नेहरू क्षयरोग की वजह से ही कालकवलित हुई थीं अतः क्षयरोग उन्मूलन उन्हें सच्ची श्रद्धांजली होगी। क्षय रोगियों के परिवारों के लिए वास्तविक सहायता होगी जो संक्रमण के भय से ग्रसित उपचार केन्द्रों के चक्कर लगाने के लिए अभिशप्त होते हैं।

इस भागीरथ कार्यक्रम के संकल्प हेतु श्री मोदीजी को शत शत नमन। 


वर्ष 2019 में प्राणदायक क्षयोपचार  द्वारा लगभग 70 लाख  रोगी लाभान्वित हुए, किंतु 30 लाख अब भी प्रतीक्षारत हैं। चिंताप्रद अर्थाभाव, देखभाल से वंचित रोगग्रस्त तथा संभाव्य क्षयरोगगियों की चुनौती है।

विकसित नैदानिक तकनीक से वर्ष 2018 में क्षयरोगियों नें अभूतपूर्व रूप से जीवनरक्षक उपचार ग्रहण किया।
 सत्तरलाख क्षयरोगी विश्वव्यापी निदानोपचार से लाभान्वित हुए रोगी एक कीर्तिमान है, वैश्विक नेतृत्व के संकल्प के प्रति (2017 के 63 लाख रोगियों) की तुलना में। 
वैश्विक क्षयरोग लेखानुसार क्षयजनित मृत्यु में भी एक लाख मानवजीवन की कमी देखी गई।अर्थात नए मनुष्यों में संक्रमण की मंद पड़ती गती, तथा प्रथम कीर्तीस्तंभ- रोगग्रस्त उपचार के अभाव में प्राण संचारी सहायता की पहुँच।
दुर्भाग्य से उच्चाकांक्षाओं के भार तले उपेक्षित व निम्न आय समूहों में 2018 के दौरान क्षय रोग ने दस लाख मनुष्यों को टीबी ने ग्रस लिया।यह पुष्टी करता है कि संयुक्त व ठोस प्रयास वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन-लगभग तीस लाख लोग क्षयरोग की आवश्यक सहायता हेतु प्रतीक्षारत हैं।

वैश्विक

कई देशों में आज भी निर्बल आधारभूत स्वास्थ्य संरचना तथा अपर्याप्त मानव बल क्षय-टीबी के निदानोपचार में बाधक हैं। सूचना व लेखा तंत्र जिसमें स्वास्थ्यकर्मी उपचारोपरांत रोगी को लेखबद्ध नहीं करते फलत: एक सुदृढ़ योजना नहीं बन पाती। निम्न आय वर्ग के रोगी सकल घरेलू आय का 80% इलाज में व्यय करते हैं।

क्षयोपचार में सतत् व उत्तरोत्तर गुणवत्ता, सबल प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में नवनिवेश द्वारा ही प्राप्त होगी।
नेतृत्व द्वारा क्षय, एड्स व मलेरिया जैसे संचारी रोगों के विरूद्ध नवसंकल्प तथा प्रतिबद्धता आवश्यक है, जो वैश्विक मंच पर देखी गई हैं। जनकेन्द्रित पहुँच जो टीबी के साथ एड्स को भी संलिप्त कर निर्मित हो बेहतर होगी।
शिशु केन्द्रित कार्क्रम अगली पीढ़ी का भी भविष्य सवांरेंगे।

औषध प्रतिरोधकता

क्षय उन्मूलन में एक बड़ी बाधा है जो पाँच लाख नए प्रकरणों  के साथ 2018 में बलवती हुई है।
मात्र एक तिहाई लेखबद्ध प्रकरण भविष्य का भय है।
संपूर्ण मौखिक परहेज जो इस समस्या में सुरक्षित व प्रभावी हैं।
निवेश,अर्थाभाव सदैव रूकावट के रूप में विद्यमान हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा क्षय जनित मृत्यु में
90% कमी तथा क्षय प्रकरणों में 80% कमी का लक्ष्य निर्धारित किया है।
वैश्विक नेतृत्व द्वारा निर्धारित लक्ष्य:
चार  करोड़ क्षय रोगियों का उपचार अगले पाँच वर्षों में।
लगभग तीन करोड़ लोगों का संक्रमण से बचाव के प्रयास।
2022 तक हर वर्ष अधिकाधिक राशी  की उपलब्धता-
क्षय रोग निदान, उपचार तथा देखभाल हेतु।
अधिकांश राशी प्रदाता यूएस-लगभग 50% द्वारा उपलब्ध करासॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆॆई जाएगी।
आपातकालीन रूप से क्षय रोग अनुसंधान व बेहतर सुविधा हेतु पूँजीगत संसाधन।

क्षयरोग तथ्य

मायकोबेक्टीरियम  ट्यूबरक्युलासेस- बिषाणु जो श्वसन तंत्र के मुख्य अंग-फुफुस्स-फेफड़े को संक्रमित
करता है।
टीबी उपचार योग्य तथा अनुरक्षणीय है, रोकथाम योग्य है।
एक चौथाई वैश्विक मानव संख्या सुप्त क्षय से ग्रस्त है जिसका अर्थ है कि विषाणु से संक्रमित हैं
किन्तु रूग्ण नहीं हैं तथा इसे दूसरों में संक्रमित नहीं कर सकते।
सर्वाधिक क्षय रोगी इन आठ देशों में दर्ज, लेखबद्ध हैं: बांग्लादेश, चीन, भारत, इण्डोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलिपींस तथा साउथ-दक्षिण अफ्रीका।
ब्रज़ील, चीन, रशियन फेडरेशनजिम्बामब्वे जहाँ क्षयरोग का उच्च स्तर है,
उपचार आवृति का क्षेत्र विस्तृत है लगभग 80%।