तत्कालीन ज़ीका वायरस के लिए सर्वाधिक कारक प्रजाति वही है जो डेंगू वायरस तथा यलो फीवर की प्राथमिक वाहक है।
जीका वायरस
जीका वायरस
एडिस ईजिप्टी प्रजाति के मच्छर से यह संक्रमण मनुष्यों में फैलता है। काले रंग पर सफेद पट्टियों वाला और करीब 5 मिलीमीटर आकार का एडिस ईजिप्टी मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और यलो फीवर का भी वाहक है। भारत से करीब पंद्रह हजार किलोमीटर दूर लैटिन अमेरिकी देशों में एक, ब्राजील में दो साल में 50 लोगों की मौत इस संक्रमण के कारण हुई है।
जीका वायरस मां के गर्भ में पल रहे बच्चे का दिमाग बनना रोकता है और उसके चेहरे का आकार-प्रकार बिगाड़ता है।
जीका वायरस का संक्रमण दक्षिण अमेरिका के ब्राजील में 28 में से 21 राज्य में सामने आया है। छः राज्यों में हेल्थ इमरजेंसी घोषित की गयी है।
ब्राजील के साथ ही पैरागुए, कोलंबिया, वेनेजुएला , फ्रेंच गयाना , सूरीनाम और मेक्सिको , हैती, प्युएर्तो रीको
में जीका वायरस का असर है।
अर्जेंटीना, चिली, बोलिविया, पेरू, एक्वाडॉर, कोस्टा रिका, एल सैल्वडॉर, ग्वातेमाला, होंडूरास, पनामा में जीका वायरस संक्रमण फैलना संभावित है। एल सैल्वडॉर की सरकार ने अगले दो-तीन साल तक महिलाओं को गर्भवती ना होने की सलाह दी है। इस बीच यूरोपीय देश डेनमार्क में भी जीका वायरस से संक्रमण का एक मामला पाया गया है.
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने चेतावनी दी है कि जीका वायरस के कारण बच्चों में जन्मजात माइक्रोसिफेली दोष आ सकता है। माइक्रोसिफेली से प्रभावित बच्चों का सिर छोटा रह जाने से उनके मस्तिष्क में स्थाई दोष आ जाता है।
जीका वायरस गर्भवती महिलाओं पर भयानक असर करता है। इसे गर्भस्थ बच्चों के लिए महामारी के तौर पर देखा जा रहा है। जीका वायरस की वजह से भ्रूण में मस्तिष्क का विकास रुक जाता है और माइक्रोसेफाले नाम की दिमागी बीमारी गर्भस्थ बच्चों में हो जाती है।
सामान्यतः माइक्रोसिफेली से ग्रस्त व्यक्ति की आयु क्षीण होती है। इनके मस्तिष्क के सामान्य रूप से कार्यरत रखने के चिकित्कीय उपाय कम हैं। रोग निदान भी लक्षणों के अनुसार ही किया जाता है।
माइक्रोसिफेली से ग्रस्त नवजात सामान्य अथवा तुलनात्मक रूप से छोटे मस्तिष्क के आकार के होते हैं। समयांतर के साथ मस्तिष्क सही आकार व क्षमता में विकसित नहीं हो पाता। फलतः शिशु की वृद्धि बालपन में बदलने के अंतराल में मुख का आकार, मस्तिष्क के अनुपात में बड़ा हो जाता है। विकसित बालक उत्तरोत्तर दबे हुए ललाट, माथे तथा सिर पर सलवटों युक्त त्वचा का होता है।
जीका वायरस के कोई विशेष लक्षण नहीं हैं जिससे इसे पहचानना मुश्किल है। इसके कोई इलाज नहीं है और बचाव का कोई टीका भी नहीं है।
लक्षण
जीका वायरस से संक्रमित हर पाँच रोगी में से एक में ही इसके लक्षण दिखते हैं। जीका वायरस से संक्रमित व्यक्तियों में जोड़ों में तेज दर्द, आंखें लाल होना, मचली, चिड़चिड़ापन या बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
चूंकि इलाज कम है इसलिए इस वायरस से बचना ही फिलहाल एकमात्र उपाय है। वैसे तुलनात्मक रूप से इस वायरस से मौतों की संख्या फिलहाल काफी कम है। वहीं भारत में इस वायरस का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है।
उद्गम
अब तक के शोध बताते हैं कि ये वायरस पर्यटकों के जरिए लैटिन अमेरिका तक पहुंचा। इस वायरस का सबसे पहले मामला 1947 में युगांडा, अफ्रीका में पाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इसके फैलने का अंदेशा है।
सिर्फ ब्राजील में ही 15 लाख लोग खतरे के दायरे में है। 3893 लोग संदिग्ध रूप से जीका वायरस से प्रभावित हैं,
और अब तक 49 लोगों की मौत हो चुकी है।
यहां जीका वायरस का संक्रमण करीब 8 महीने पहले देखने में में आया था।
2015 तक यह वायरस अफ्रीका, एशिया और प्रशांत द्वीपों में ही सुप्त अवस्था में पाया गया था। अब तक 14 देशों में जीका वायरस का पता चला है।
संक्रमित देश
ब्राजील समेत कई दक्षिण अमेरिकी देशों में जीका वायरस संक्रमण हो चुका है। ब्राजील में विश्व भर से पर्यटकों के आने जाने के कारण वहां से इसके पूरी दुनिया में फैलने का अंदेशा है। कनाडा और चिली को छोड़कर सभी देश जीका वायरस संक्रमण के दायरे में हैं।
दैनिक भास्करः
हेल्थ डेस्क. जीका वायरस से जयपुर में करीब 22 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वायरस की पुष्टि होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय से इसकी व्यापक रिपोर्ट मांगी है। भारत में पिछले साल जनवरी और फरवरी में पहली बार वायरस के अहमदाबाद में होने की बात सामने आई थी।
86 देशों में इसके होने की पुष्टि हो चुकी है।
दैनिक भास्करः
हेल्थ डेस्क. जीका वायरस से जयपुर में करीब 22 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वायरस की पुष्टि होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय से इसकी व्यापक रिपोर्ट मांगी है। भारत में पिछले साल जनवरी और फरवरी में पहली बार वायरस के अहमदाबाद में होने की बात सामने आई थी।
86 देशों में इसके होने की पुष्टि हो चुकी है।
संक्रमण वाहक
जीका वायरस को एडीज मच्छर फैलाता है। इसलिए मच्छर के काटने से बचना सबसे जरूरी बचाव है. बिस्तर पर मच्छरदानी और बाहर निकलते समय शरीर पर क्रीम रेपलेंट का इस्तेमाल करना फायदेमंद है।
गर्भवती स्त्रियों में खतरा
केवल कुछेक मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आती है। अब तक पहचान में आए जीका वायरस संक्रमण के ज्यादातर मामले जानलेवा नहीं हैं। लेकिन गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने से होने वाले बच्चे को जन्म से ही दोष आ सकते हैं।
संक्रमित व्यक्ति सावधानी रखें
सबसे जरूरी है कि आराम करें और तुरन्त डॉक्टर की सलाह लें। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार शैया पर ही रहना चाहिए और प्रचुर मात्रा में पानी पीना चाहिए। शरीर में दर्द होने पर पैरासिटामॉल ली जा सकती है। इबूप्रोफेन दवा मना है।
इलाज एवं टीका
अब तक जीका वायरस से निपटने के लिए कोई वैक्सीन या दवा नहीं बनी है। वर्तमान में तो सिर्फ मच्छरों से बचना ही एक मात्र उपाय है। घर के आसपास मच्छरों के पनपने वाले नम इलाकों और ठहरे हुए पानी को हटाऐं।
सीडीसी अमेरिका द्वारा जीका वायरस तथा माइक्रोसिफेली के संबंध पर स्पष्टीकरण---
http://www.cidrap.umn.edu/news-perspective/2016/01/cdc-notes-zika-microcephaly-link-ponders-travel-alert
CDC notes Zika-
सीडीसी अमेरिका द्वारा जीका वायरस तथा माइक्रोसिफेली के संबंध पर स्पष्टीकरण---
http://www.cidrap.umn.edu/news-perspective/2016/01/cdc-notes-zika-microcephaly-link-ponders-travel-alert
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